कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी कि सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति कुंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति कुंटल कर दिया है। तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।
कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) की व्यवस्था बनी रहेगी, सरकारी खरीद होती रहेगी और इसके साथ किसान जहां चाहें अपने उत्पाद बेच सकेंगे।’’
कृषि मंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में सामने आई है जब रविवार को संसद में पारित कृषि संबंधी दो विधेयकों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य स्थानों पर किसान समूत विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संसद ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी।
तोमर ने कहा कि सीसीईए ने छह रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि करने को मंजूरी प्रदान की है। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति कुंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति कुंटल कर दिया गया है। कांग्रेस के कुछ सदस्य इस पर कृषि मंत्री से स्पष्टीकरण चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी।
तोमर ने कहा कि रबी की बुवाई के पहले ही सरकार ने गेहूं की एमएसपी 50 रुपए बढ़ कर 1975 रुपए प्रति कि्वंटल, चना की एमएसपी 225 रुपए बढ़ कर 5100 रुपए प्रति कि्वंटल, मसूर की एमएसपी 300 रुपए बढ़ कर 5100 रुपए प्रति कि्वंटल, सरसों की एमएसपी 225 रुपए बढ़कर 4650 रुपए प्रति कि्वंटल, जौ की एमएसपी 75 रुपए बढ़कर 1600 रुपए प्रति कि्वंटल तथा कुसुम्भ की एमएसपी 112 रुपए बढ़ कर 5327 रुपए प्रति कि्वंटल किया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में मसूर की एमएसपी 2950 रुपए प्रति कि्वंटल थी जो अब 73 प्रतिशत अधिक हो गयी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009-14 के बीच सरकार ने 1.52 लाख टन दालों की खरीद की थी जो 2014-19 के दौरान 76.85 लाख टन हो गयी जो 4962 प्रतिशत अधिक रही। मोदी सरकार ने सात लाख करोड़ रुपए एमएसपी के मद में भुगतान किये जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल में एमएसपी के मद में इससे आधी राशि का भुगतान किया गया था।
तोमर ने कहा कि वह सदन में सभी सदस्यों से कहना चाहते हैं कि कृषि सुधार को लेकर दो विधेयकों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार बार कहा था कि कृषि उपज वाणिज्य समिति और एमएसपी की व्यवस्था पूर्ववत रहेगी। आज के फैसले से मोदी ने प्रमाणित कर दिया है कि ये दोनों व्यवस्थाएं चलेंगी। किसान मंडी में एमएसपी पर फसल बेच सकता है और अगर बाहर मूल्य अधिक मिलेगा तो उसे किसी भी स्थान पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी दाम पर बेच सकेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार इस समय रबी एवं खरीफ की 22 फसलों की एमएसपी तय करती है और दो साल पहले उसने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुरूप उत्पादन लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा लगा कर एमएसपी घोषित करना शुरू किया है।