चारधाम परियोजना के चलते उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के आरोपों पर केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दिया। केंद्र ने साफ किया कि चमोली हादसे और ‘चारधाम’ की सड़क चौड़ीकरण योजना के बीच कोई संबंध नहीं है। सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक तौर पर अपना जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का वक्त मांगा है।
क्षा मंत्रालय की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के अध्यक्ष के पत्र को प्रस्तुत किया, जिसमें दावा किया गया है कि सड़क चौड़ीकरण और उत्तराखंड आपदा के बीच एक कड़ी है। हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे अनुसार, ऐसा कोई संबंध नहीं है। हम आरोपों का जवाब देना चाहते हैं और हमें समय की जरूरत है।
एचपीसी के चेयरमैन रवि चोपड़ा ने सुप्रीम कोर्ट को 13 फरवरी को लिखे पत्र में कहा था कि ऋषिगंगा घाटी में हाल ही में हुई आपदा मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) के उत्तर में हुई थी, जो भूस्खलन, फ्लैश फ्लड, भूकंप से अत्यधिक प्रभावित है। पत्र में कहा गया है, “ऋषिगंगा नदी पर भारत-चीन सीमा की रक्षा सड़क का एक हिस्सा और एक पुल बह गया है, जो क्षेत्र के आपदा संभावित क्षेत्र के हमारे तर्क को बल देता है।”
उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड के चारधाम क्षेत्र में हाल ही में हुई आपदा के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट को यह पत्र लिखने के लिए मजबूर थे। चोपड़ा ने पत्र में कहा, “मुझे बताया गया है कि हाल ही में हुई त्रासदी के बाद, स्थानीय निवासी 2014 की 24 प्रस्तावित परियोजनाओं पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लिए आभारी हैं। अगर यह आदेश नहीं दिया गया होता तो और तबाही आ सकती थी।”
रवि चोपड़ा ने कहा कि वनों की कटाई, ढलान काटने, सुरंग बनाने, नदियों के क्षतिग्रस्त होने, अत्यधिक पर्यटन आदि जैसी व्यापक गड़बड़ियों की वजह से क्षेत्र में आपदा की प्रबलता बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल 900 किलोमीटर की चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी कर रहा है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के चार हिंदू पवित्र शहरों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है।
परियोजना को हाल ही में एलएसी पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राजमार्ग परियोजना, जिसे 10 मीटर चौड़ी सड़क के रूप में योजनाबद्ध किया गया है, उसे केवल 5.5 मीटर तक चौड़ा किया जा सकता है।
रक्षा मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा पर सशस्त्र बलों और उनके उपकरणों के तेजी से आवागमन के लिए सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और कहा था कि यह स्थानीय लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं भी सुनिश्चित करेगा। कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल के 26 सदस्यों में से 21 ने सड़क चौड़ीकरण का पक्ष लिया था।