रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मैदान में इस बार राजनीतिक दलों के बीच रोमांचक मुकाबला होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है। सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस के बीच घमासान का दौर जारी है। वहीं तीसरी शक्ति के दावों के साथ क्षेत्रीय दल की चुनौती भी नजर आ रही है।
छजकां की मौजूदगी से राजनीतिक दलों का समीकरण भी बिगड़ने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है। प्रेक्षकों की मानें तो जोगी के क्षेत्रीय दल कई सीटों में राष्ट्रीय दलों का समीकरण बिगाड़ सकता है। हालांकि वोटों के मामले में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इसके बावजूद नए सिरे से धु्रवीकरण की आशंकाएं बढ़ सकती है।
क्षेत्रीय दल के बीते दिनों के सम्मेलन में बड़ी तादाद में उमड़ी भीड़ के बाद इसी तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि छजकां के सम्मेलन में उमड़ी भीड़ को लेकर भी कई तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही है। विश्लेषकों में इस बात पर मतांतर है कि वास्तव में क्षेत्रीय दल किसे नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि कांग्रेस से अलग होने के बाद स्वाभाविक तौर पर विपक्ष को नुकसान हो सकता है।
इसके बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा को भी कहीं न कहीं डैमेज करने में पीछे नहीं होगा। हालांकि सत्ताधारी दल के रणनीतिकारों का मानना है कि क्षेत्रीय दल से उन्हें फायदा और कांग्रेस को नुकसान होगा। वहीं विपक्ष के रणनीतिकारों का दावा है कि पूर्व में पार्टी के भीतर भीतरघात की स्थिति में ही समीकरण बिगड़ते रहे हैं। वहीं अप्रत्यक्ष तौर पर सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने की नीयत रही थी।
इस बार खुले तौर पर सत्ताधारी दल भाजपा को ही नुकसान होना है। सूत्र दावा करते हैं कि इस बीच क्षेत्रीय दल ने अपनी मौजूदगी का अहसास कराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते हुए तीसरी शक्ति के तौर पर पेश किया है। इसके बावजूद चुनाव के ठीक पहले बनने वाली हवा ही कोई संकेत दे पाएगी।
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