रायपुर: छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवा के दागी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार ने फिर कवायदें तेज की है। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने विभागीय जांच रिपोर्ट को खंगालना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक इनमें सेवानिवृत्त हो चुके दो आईएएस अफसरों के अलावा वर्तमान में विभिन्न विभागों में पदस्थ बड़ी तादाद में अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के अफसर शामिल हैं। इनमें करीब 12 आईएएस एवं 14 आईएफएस अफसरों के अलावा 3 आईपीएस अफसरों के खिलाफ मामले हैं।
सूत्र यह भी दावा करते हैं कि हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रक्रिया तेज कर दी है। हालांकि इन अफसरों के मामले में रिव्यू कमेटी ने कोई अनुशंसा नहीं की है। हाईकोर्ट में इन अफसरों के खिलाफ लंबित एक जनहित याचिका के मामले में समय सीमा निर्धारित करने के निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर ही विभागीय जांच की समय सीमा में निराकरण की कार्रवाई संबंधित विभागों में शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार एवं आर्थिक अनियमितताओं के मामले में इन अफसरों के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें थी। इन शिकायतों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
राज्य शासन के आला अफसर मानते हैं कि अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशासन मंत्रालय से अनुमति जरूरी है। हालांकि इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई से पहले संघ लोक सेवा आयोग से भी अनुमति लेनी पड़ेगी। कुछ अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर कुछ अफसरों के मामले में विभागीय जांच रिपोर्ट अंतिम दौर में है।
इनमें सेवानिवृत्त आईएएस अफसरों में पी. राघवन, टी. राधाकृष्णन समेत एमएस. मूर्ति शामिल हैं। इसी तरह भारतीय वन सेवा के अफसरों के मामले में भी कार्रवाई हो सकती है। इनमें आरा मिल घोटाले समेत आवश्यकता से अधिक सामग्री खरीदी और मनरेगा के तहत पौधे रोपण में भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं।