रायपुर : नीति आयोग द्वारा विकास की दौड़ में छत्तीसगढ़ के पिछडऩे के का हवाला दिए जाने के बाद विवादों के बीच अब विश्व बैंक की रिपोर्ट के जरिए सरकार के कामकाज को सामने लाया गया है। छत्तीसगढ़ के पीडीएस माडल को कई राज्यों की पहले ही सराहना मिल चुकी है। अब विश्व बैंक की एक सालाना रिपोर्ट में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था को सराहा गया है।
इसमें सरकार के बेहतर प्रयाासों और योजनाबद्ध ढंग से किए गए काम की वजह से लीकेज कम करने में सफलता मिलीहै। वहीं मध्यान्ह भोजन योजना के संचालन से स्कूलों में विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की शालाओं में दर्ज संख्या में बढोतरी हुई है। स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या बढऩे के साथ शाला त्यागी बच्चों की संख्या कम हुई है। हालांकि विश्व बैंक ने मनरेगा योजना की भी तारीफें की है।
वहीं छत्तीसगढ़ में इसके क्रियान्वयन को लेकर सरकार की कार्ययोजना को सराहा है। हालांकि मनरेगा मजदूरी भुगतान में लेटलतीफी को लेकर जरूर प्रदेश में अभी भी दबाव बनता रहा है। इधर पीडीएस योजना को राज्य में लगातार रिस्पांस मिला है। प्रदेश में रमन सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर हर व्यक्ति को भोजन का अधिकार दिया है। यह कानून लागू करने वालों में छत्तीसगढ़ सबसे पहले स्थान पर रही है।
राशन दुकानों में खाद्य सामग्रियों के वितरण से लेकर इसे हितग्राहियों तक पहुंचाने की भी अलग व्यवस्था है। पूर्व में लीकेज की वजह से पात्र और जरूरतमंद लोगों तक खाद्य पदार्थ नहीं पहुंच पाता था। इस मामले में लगातार शिकायतों के बाद नए सिरे से मानिटरिंग कर खामियों को दूर किया गया है। वहीं अपात्र लोगों के राशन कार्ड काटने के साथ सरकार ने इसमें बीपीएल उपभोक्ताओं को भी जोड़ा है। विश्व बैंक समेत पूर्व में पीडीएस को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की प्रशंसा राज्य सरकार को मिल चुकी है।
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