प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा बहुजन समाज पार्टी ने भाग नहीं लिया।
प्रधानमंत्री ने यह बैठक ‘एक देश एक चुनाव’, आजादी के 75 वें वर्ष में नये भारत के निर्माण, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित समारोह, संसद के दोनों सदनों में ज्यादा से ज्यादा कामकाज किये जाने तथा आकांक्षी जिलों के विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलायी गयी थी।
संसद के लायब्रेरी भवन में हुयी इस बैठक में संसद में प्रतिनिधित्व वाले दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया था। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में हिस्सा लेने से पहले ही मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह इस बैठक में भाग नहीं ले पायेंगी क्योंकि ‘एक देश एक चुनाव’ का मुद्दा बहुत गंभीर और संवेदनशील है तथा इतने कम समय में सभी दलों की बैठक बुलाकर इस मसले के साथ न्याय नहीं किया जा सकता है।
बसपा प्रमुख मायावती ने भी बैठक में आने से इन्कार कर दिया था। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई तथा के सुरेश ने संवाददातअइों से कहा कि उनकी पार्टी बैठक में शामिल नहीं होगी। तेलंगना राष्ट्र समिति, तेलगू देशम पार्टी तथा द्रमुक ने भी बैठक में भाग नहीं लिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी काफी समय से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर देते रहे हैं। उनका कहना है कि इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में भारी कमी आयेगी तथा चुनावों के कारण समय-समय पर लागू की जाने वाली आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में बाधा नहीं आयेगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, जनता दल (यू) प्रमुख नीतीश कुमार,बीजू जनता दल प्रमुख नवीन पटनायक, लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख राम विलास पासवान और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी बैठक में मौजूद थे।
श्री सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मुद्दा भाजपा या किसी एक दल का नहीं बल्कि देश का एजेन्डा है। प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं के सुझावों की सराहना की और कहा कि सरकार सभी को विश्वास में लेकर आगे बढेगी और मतभिन्नता का भी सम्मान किया जायेगा। श्री सिंह ने कहा कि बैठक में मौजूद सभी दलों ने इसकी सराहना की। विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के विषय पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले इसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी दलों में इस बात पर पूरी सहमति थी कि संसद में संवाद और वार्तालाप का माहौल बना रहे। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती से संबंधित कार्यक्रमों के बारे में चर्चा के दौरान नेताओं ने कहा कि नयी पीढी को उनके जीवन से रूबरू कराया जाना जरूरी है और इस दौरान विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वर्ष 2022 तक विकास कार्यक्रमों को पूरा करने का संकल्प लिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जयंती समारोह को किसी ‘इवेंट’ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और महात्मा गांधी अभी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आजादी के आंदोलन के समय थे।
श्री सिंह ने कहा कि आकांक्षी जिलों के विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल प्रबंधन एक चुनौती है और इससे निपटने के लिए योजनाओं पर काम करना जरूरी है। उन्होंने स्वच्छता आंदोलन में तेजी लाने और इसे जनांदोलन बनाने पर भी जोर दिया।
इससे पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी सभी चुनाव एक साथ कराने का समर्थन करती है लेकिन अभी सरकार यह नहीं बता पा रही है कि यह कैसे होगा। उनकी पार्टी ने यह सवाल उठाया है कि लोकतंत्र में यह व्यवहारिक नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 356 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद के रहते हुए सभी चुनाव एक साथ कैसे हो सकते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार की मंशा देश को राष्ट्रपति शासन प्रणाली की ओर ले जाने की हो सकती है।
बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी सभी चुनाव एक साथ कराने का समर्थन करती है। उन्होंने महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के संदर्भ में कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि संविधान की प्रस्तावना में ‘शांति और अहिंसा’ को भी जगह दी जानी चाहिए।
बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे।
इसके अलावा जनता दल यू के नीतीश कुमार, नेशनल कांफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगन मोहन रेड्डी, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, एएमआईएम के असैद्दुदीन ओवैसी, लोकजन शक्ति पार्टी के रामविलास पासवान, रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकश नड्डा और तेलंगाना राष्ट्र समिति के के टी रामाराव शामिल थे।