कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन आज 20वें दिन भी जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं, वहीं केंद्र सरकार किसी भी कानून को रद्द करने से साफ इंकार कर चुकी है। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर किसान आंदोलन की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किए। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने पूंजीपति मित्रों के हितों को महत्व देती है।
कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में लिखा, “मोदी सरकार के लिए-
विरोध प्रदर्शन करनेवाले छात्र राष्ट्रविरोधी हैं।
अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित नागरिक शहरी नक्सली हैं।
प्रवासी मजदूर कोविड महामारी के वाहक हैं।
दुष्कर्म पीड़ित कुछ भी नहीं हैं।
विरोध करने वाले किसान खालिस्तानी हैं और पूंजीपति सबसे अच्छे दोस्त हैं।”
For Modi Govt:
Dissenting students are anti-nationals.
Concerned citizens are urban naxals.
Migrant labourers are Covid carriers.
Rape victims are nobody.
Protesting farmers are Khalistani.And
Crony capitalists are best friends.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 15, 2020
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों के नेता आज 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर होने वाले मीटिंग में आंदोलन के आगे की रूपरेरखा व रणनीति तय करेंगे।
सरकार की ओर से लगातार किसान नेताओं से किसानों से जुड़े मुद्दों पर फिर से बातचीत करने और समस्याओं का हल तलाशने की अपील की जा रही है। लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार तीनों नये कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं होगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इस बीच जो किसान संगठन आंदोलन में शामिल नहीं हैं उनके नेता नये कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए इन्हें वापस नहीं लेने की मांग कर रहे हैं। हालांकि नये कानून में सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन का वे भी समर्थन करते हैं।
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केंद्र सरकार द्वारा लागू जिन तीन नये कानूनों को किसान संगठनों के नेता निरस्त करवाने की मांग कर रहे हैं उनमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं। हालांकि किसानों की मांगों की फेहरिस्त लंबी है।
किसान संगठनों के नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सारी अधिसूचित फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं जबकि सरकार ने एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने के लिए लिखित तौर पर आश्वासन देने की बात कही है। इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुमार्ने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।