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कांग्रेस ने कोरोना वायरस राज्यसभा में उठाया मुद्दा, वायरस के खतरे के चलते भारतीय मिर्च का निर्यात प्रभावित, किसान परेशान

चीन में कोरोना वायरस का कहर जारी है। कोरोना वायरस से मरने वालो की संख्या बढ़कर 563 हो गयी है, जबकि 28,018 लोगों में इस संक्रमण के पाये जाने की पुष्टि हुई है।

चीन में कोरोना वायरस का कहर जारी है। कोरोना वायरस से मरने वालो की संख्या बढ़कर 563 हो गयी है, जबकि 28,018 लोगों में इस संक्रमण के पाये जाने की पुष्टि हुई है। इस वायरस से निपटने के लिए चीन में भारतीय मिर्च का निर्यात रोके जाने की वजह से, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के किसानों की परेशानी का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में मांग की कि सरकार को इन किसानों के लिए मिर्च का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए। 
शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस सदस्य केवीपी रामचंद्र राव ने कहा कि आंध्रप्रदेश में और तेलंगाना में मिर्च की एक किस्म ‘तेजा’ का बहुतायत में उत्पादन होता है जिसका दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। उन्होंने कहा कि हर साल देश से करीब पांच हजार करोड़ रुपये की तेजा मिर्च का निर्यात किया जाता है और लगभग 60 फीसदी यह मिर्च चीन भेजी जाती है। 
राव ने कहा ‘‘ ज्यादातर निर्यात आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से होता है। लेकिन इन दिनों चीन कोरोना वायरस की समस्या का सामना कर रहा है जिसकी वजह से भारत से चीन को मिर्च के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। इस रोक की वजह से आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के किसान परेशान हैं।’’ उन्होंने सरकार से इन दोनों राज्यों के किसानों के हितों की रक्षा करने का अनुरोध करते हुए मांग की ‘‘मिर्च का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके। साथ ही हालात में सुधार होते तक, मिर्च रखने के लिए इन किसानों को भंडारण सुविधा एवं बीमा कवर भी दिया जाना चाहिए।’’ 

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विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। शून्यकाल में ही भाजपा के डॉ विनय पी सहस्रबुद्धे ने दिव्यांगों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनके लिए अवसंरचनाओं का अभाव है। उन्होंने कहा कि जो सुविधाएं उनके लिए हैं उनमें भी औपचारिकताएं पूरी होने में समय लगता है। सहस्रबुद्धे ने कहा कि दिव्यांगों को आर्थिक सुविधा के लिए ‘दिव्यांग वित्त आयोग’ बना है लेकिन बैंकों में औपचारिकताओं में समय लगता है। दिव्यांगों के लिए रैम्प भी उचित तरीके से नहीं बनते। उनके लिए तय कई रिक्तियां भरी नहीं गई हैं। 
भाजपा सदस्य ने मांग की कि सामाजिक आधिकारिता मंत्रालय के कर्मियों और पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण में दिव्यांगों के लिए संवेदनशीलता को शामिल किया जाए। उन्होंने ऑटिज्म, सेरिब्रल पाल्सी, पैराप्लेजिक के मरीजों का अध्ययन करने की मांग भी की। राजद के प्रो मनोज कुमार झा ने शिक्षकों से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश के करीब 13 लाख शिक्षक बदहाल हैं और उत्तर प्रदेश में तो 69 हजार शिक्षक अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। 
शिक्षकों की नियुक्ति और उनकी समस्याओं के हल को प्राथमिकता दिए जाने की मांग करते हुए प्रो झा ने कहा ‘‘छात्र शिक्षक अनुपात की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।’’ शिक्षकों से जुड़ा मुद्दा भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने भी उठाया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का प्राथमिक दायित्व अध्यापन कार्य है। इसके अलावा उन्हें चुनाव अथवा अन्य ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी इस संबंध में व्यवस्था दे चुका है जिसके बावजूद शिक्षकों को मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में लगाया जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के पी भट्टाचार्य ने वनवासियों से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वन अधिनियम और उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद भी अनुसूचित जनजातियों के लोगों के अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है। 
भट्टाचार्य ने मांग की कि इस संबंध में एक कानून लाया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर पंचायत अधिनियम में भी बदलाव किया जाना चाहिए। इसी पार्टी के मधुसूदन मिस्त्री ने भी वन अधिनियम से जुडा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वन अधिनियम का कार्यान्व्यन समुचित तरीके से नहीं हुआ क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों के दावे खारिज किए गए हैं।मिस्त्री ने वन भूमि संबंधी मामलों के निपटारे के लिए एक न्यायाधिकरण गठित करने की मांग की। 

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