केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता विफल होने बाद किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने रविवार को कहा कि पार्टी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी बंद का समर्थन करेगी। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए गंभीर नहीं है और वह किसानों के साथ वार्ता का ढोंग कर देश के अन्नदाता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक तरफ सरकार आंदोलनरत किसानों के साथ कई दौर की वार्ता कर रही है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार्ता शुरू होने से दो दिन पहले वाराणसी में घोषणा कर रहे हैं कि किसान जिन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की इस घोषणा से यह साफ हो जाता है कि सरकार के किसानों के साथ वार्ता के दरवाजे बंद है और वह उन्हें सिर्फ गुमराह करने का प्रयास कर रही है। उनका कहना था कि जब उनकी मांग पर विचार ही नहीं करना है तो फिर वार्ता का स्वांग क्यों किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के साथ सरकार जिस तरह का बर्ताव कर रही है, उससे स्पष्ट है कि उनके लिए दिल्ली के सारे दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर दुनिया में तरह-तरह की बात की जा रही है और इससे देश की छवि खराब हो रही है इसलिए सरकार को जग हंसाई कराने की बजाय किसानों से तत्काल बातचीत कर उनकी बात माननी चाहिए।