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नेहरू को ‘सत्ता का लालची” बताने पर विवाद

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भोपाल : भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा आयोजित‘मेरे दीनदयाल’सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के लिए बांटी गई किताब में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कथित रूप से‘सत्ता का लालची’बताने पर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने इस पर घोर आपत्ति जताई है। भाजयुमो ने पूरे राज्य में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसकी तैयारी के लिए एक किताब बांटी गई थी।

इसमें अखंड भारत के संबंध में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मत का उल्लेख करते हुए एक स्थान पर लिखा है‘पंडित नेहरू और जिन्ना के सत्ता लालच और अंग्रेजों की चाल में आ जाने से भारतवासियों का यह सपना पूर्ण नहीं हुआ और खंडित भारत को आजादी मिली‘। इसकी जानकारी मिलते ही कांग्रेस हमलावर हो गई, वहीं भाजयुमो इसमें सफाई दे रहा है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कभी भी कांग्रेस द्वारा देश के आजादी के आंदोलन में दिए योगदान और आजाद भारत का नवनिर्माण करने वाले नेताओं की बराबरी नहीं कर सकते। उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें प्रतियोगिता में यह प्रश्न पूछना चाहिए कि असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ आंदोलन में आरएसएस के लोगों की क्या भूमिका थी।

उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा तथ्यों के साथ छेड़छाड़ न करे, वरना उनको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगे। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि भाजयुमो इतिहास में जहर घोलने का काम कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक मिशन के तहत भाजयुमो के चेहरे को आगे कर अपने हित साध रहा है।

श्री मिश्रा ने आजादी की लड़ई में विभिन्न संगठनों के योगदान को लेकर भाजयुमो को चुनौती दी है कि वह अपने ही चयनित स्थान पर कांग्रेस से बहस कर लें। इधर, मामले के तूल पकड़ने पर भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि किताब में पंडित नेहरू को नहीं जिन्ना को सत्ता का लालची बताया गया है। वे पंडित नेहरू का बहुत सम्मान करते हैं और भाजयुमो की उनके बारे में ऐसी राय नहीं है।

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