स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने शनिवार को राज्यसभा में कहा कि एक अध्यादेश लाए जाने के बाद देश में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में खासी कमी आयी। उस अध्यादेश में ऐसी गतिविधियों को गैर-जमानती अपराध बनाया गया है।
सरकार ने 22 अप्रैल को एक अध्यादेश जारी कर महामारी कानून 1897 में संशोधन किया और कोविड-19 मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को गैर-जमानती अपराध बनाते हुए दंड का भी प्रावधान किया। ऐसे अपराधों में सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
मंत्री ने उच्च सदन में महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि अध्यादेश के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ ऐसी घटनाओं में कमी आयी है।
उन्होंने कहा, “हम सभी ने देखा है कि पूरे देश में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में खासी कमी आयी है।’’ उन्होंने कहा कि अध्यादेश इसलिए लाया गया था क्योंकि कोरोना वायरस मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा और उन्हें परेशान किए जाने की घटनाओं की संख्या बढ़ रही थी।
मंत्री ने कहा कि उन्हें अपने घरों या सोसाइटी में प्रवेश नहीं करने दिया गया और उनके साथ मारपीट की घटनाएं हुयीं। जब स्वास्थ्य कर्मी निगरानी के लिए गए तो उनके साथ बदसलूकी की गयी। इससे स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल कम हो रहा था।