केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर आज यानी गुरुवार को बयान दिया। रक्षामंत्री ने कहा, “सदन के माध्यम से मैं, हमारे 130 करोड़ देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं, कि हम देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे | यह हमारा, हमारे राष्ट्र के प्रति दृढ संकल्प है। “
राजनाथ सिंह ने कहा, “इस सदन से दिया गया, एकता व पूर्ण विश्वास का संदेश, पूरे देश और पूरे विश्व में गूंजेगा, और हमारे जवान, जो कि चीनी सेनाओं से आंख से आंख मिलाकर अडिग खड़े हैं, उनमें एक नए मनोबल, ऊर्जा व उत्साह का संचार होगा।
यह सच है कि हम लद्दाख में एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूँ कि हम एक ध्वनि से अपनी सेनाओं की बहादुरी और उनके अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।”
जवानों के हौसले की बात करते हुए राजनाथ सिंह ने सदन में कहा , ” महोदय, हमारे जवानों का हौसला बुलंद है , उनके लिए बर्फीली ऊॅंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का विशेष टेंट तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।हमारे यहाँ कहा गया है, कि ‘साहसे खलु श्री वसति।हमारे सैनिक तो साहस के साथ-साथ संयम-शक्ति, शौर्य और पराक्रम की जीती-जागती प्रतिमूर्ति हैं।प्रधानमंत्रीजी के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं।”
सीमा की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा , “मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हमारे आर्म्ड फोर्सेज के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है, और हमारे जवान किसी भी संकट का सामना करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। इस बार भी, सीमा पर हमारे वीरों ने, किसी भी प्रकार की आक्रामकता दिखाने की बजाय,धैर्य और साहस का परिचय दिया।”
रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि बीते समय में भी चीन के साथ हमारे बॉर्डर एरिया में लम्बे स्टैंड ऑफ की स्थिति कई बार बनी है जिसका शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया गया था। हालांकि, इस वर्ष की स्थिति, चाहे वो पलटनों की तैनाती हो या फ्रिक्शन पॉइंट्स की संख्या हो, वह पहले से बहुत अलग है। इसके कारण वे बॉर्डर एरिया में अधिक अलर्ट रह सकते हैं, और जरूरत पड़ने पर बेहतर जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। आने वाले समय में भी सरकार इस उद्देश्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहेगी। देश हित में हमें कितना ही बड़ा और कड़ा कदम उठाना पड़े, हम पीछे नहीं हटेंगे।
बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के बारे में जानकारी देते हुए राजनाथ ने कहा कि सदन को जानकारी है कि पिछले कई दशकों में चीन ने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर एक्टिविटी शुरू की है, जिनसे बॉर्डर एरिया में उनकी डिप्लॉयमेंट क्षमता बढ़ी है। इसके जबाव में हमारी सरकार ने भी बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए बजट बढ़ाया है, जो पहले से लगभग दुगुना हुआ है। एक ओर किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे दृढ़ निश्चय के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीँ भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता रखना आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत तथा चीन दोनों ने औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए संयम की आवश्यकता है तथा इस मुद्दे का उचित, व्यवहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान, शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के द्वारा निकाला जाए।’’ राजनाथ सिंह ने कहा कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में साझा रूप से चिन्हित वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों पक्षों की समझ अलग-अलग है।
उन्होंने कहा कि इसलिए शांति बहाल रखने के वास्ते दोनों देशों के बीच कई तरह के समझौते और प्रोटोकॉल हैं। सिंह ने कहा, ‘‘ हमने चीन को राजनयिक तथा सैन्य माध्यमों के जरिये यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियां, स्थिति को यानी यथास्थिति को एक तरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ मैंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करना चाहते हैं और चीनी पक्ष इस पर हमारे साथ काम करे। लेकिन किसी को भी भारत की सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा को लेकर हमारी प्रतिबद्धता पर रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए ।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन, भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित सीमा समझौते के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। सिंह ने अप्रैल के बाद से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के हालात और सीमा पर शांति के लिए कूटनीतिक तथा सैन्य स्तर पर किये गये प्रयासों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का प्रश्न अभी अनसुलझा है और दोनों पक्ष मानते हैं कि सीमा जटिल मुद्दा है तथा शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये इसका समाधान निकाला जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ 1993 और 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देश अपनी अपनी सेनाओं के सैनिकों की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भी शामिल है कि जब तक सीमा मुद्दे का पूर्ण समाधान नहीं हो जाता है, तब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख्ती से सम्मान किया जाएगा।’’