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उप सेना प्रमुख एस के सैनी बोले- आंतरिक और बाहरी खतरों से देश की सुरक्षा के लिए खुद को तैयार रखें कैडेट

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से पास हो रहे कैडेट से शनिवार को कहा कि वे बढ़ रही चुनौतियों के लिए खुद के तैयार रखें।

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से पास हो रहे कैडेट से शनिवार को कहा कि वे बढ़ रही चुनौतियों के लिए खुद के तैयार रखें क्योंकि उन्हें बार-बार आतंरिक और बाहरी खतरों से देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए कहा जा सकता है।
उन्होंने कैडेट को खुद को प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलाव के अनुरूप अद्यतन रखने को कहा। उप सेना प्रमुख ने ‘पासिंग आउट परेड’ का निरीक्षण करने के बाद कैडेट को संबोधित करते हुए कहा कि युद्ध कौशल और प्रौद्योगिकी में प्रगति साथ-साथ चलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह महज शुरुआत है।
मैं क्षितिज पर अनिश्चितता, प्रतिस्पर्धा और संघर्ष देख रहा हूं। आप ऐसी स्थिति का सामना कर सकते हैं जहां आपको बार-बार आतंरिक आर बाहरी खतरों से देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए कहा जा सकता है।’’ लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, ‘‘ हथियारों के प्रचार, गैर-राज्यीय किरदारों द्वारा उत्पन्न संघर्ष और विस्तारवादी वैश्विक विचारधारा के बीच हमे शांति और कानून के राज को कायम रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे पूरा भरोसा है कि आप सभी इन चुनौतियों का बखूबी सामना करेंगे।’’ उप सेना प्रमुख ने कैडेट से कहा कि वे ज्ञान योद्धा बनें, डिजिटल हथियारों से पूरी तरह से लैस हों, लेकिन याद रखें कि बंदूक के पीछे खड़े व्यक्ति का सबसे अधिक महत्व होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि आईएमए में प्रशिक्षण के उच्च मापदंड ने उन्हें सैनिकों के प्रभावी नेतृत्व से लैस किया है। साथ ही उन्होंने पेशे में चरित्र के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार सैनिकों का कमजोर चरित्र उजागर हुआ तो उसे ठीक करने का दूसरा मौका नहीं है।’’
उप सेना प्रमुख ने इसके साथ ही कैडेट से क्रोध, घमंड और ईर्ष्या को स्थान नहीं देने को कहा। उल्लेखनीय है कि शनिवार को आईएमए की ऐतिहासिक इमारत के सामने स्थित ड्रिल स्क्वॉयर में हुए रंगारंग पासिंग आउट परेड के साथ 325 कैडेट भारतीय सेना के अंग बन गए। इसके साथ ही मित्र देशों के 70 कैडेट ने भी शनिवार को प्रशिक्षण पूरा किया और अपने-अपने देशों की सेना में शामिल हुए।

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