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कोरोना काल में मसीहा बना DRDO, हथियारों की जगह अस्पताल, जीवन रक्षक ऑक्सीजन और दवाइयां बनाने में लगा

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), जिसकी प्रथमिकाता अत्याधुनिक हथियारों, रणनीतिक मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइल वाली पनडुब्बियों को विकसित करना है, वह भी देशवासियों को इस महामारी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

देश में चल रही कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में चिकित्सीय उपकरणों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, इस किल्लत के कारण कई लोगों को रोज अपनी जान गवानी पड़ रही है। वहीं केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की एजेंसियां लगातार इस संकट से देश को बाहर निकालने के लिए काम कर रही हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), जिसकी प्रथमिकाता अत्याधुनिक हथियारों, रणनीतिक मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइल वाली पनडुब्बियों को विकसित करना है, वह भी देशवासियों को इस महामारी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। संगठन ने अपनी पूरी ताकत इन दिनों कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में लगा दिया है।
डीआरडीओ ने कोविड -19 के कारण विशिष्ट चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों की मदद करने के लिए नकारात्मक दबाव वाले टेंट के साथ अस्पताल बनाया है। आईसीयू बेड, ऑक्सीजन बेड और सामान्य बेड पर अस्पताल के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के परामर्श से काम किया। डीआरडीओ द्वारा दिल्ली, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गांधी नगर, हल्द्वानी, ऋषिकेश, जम्मू और श्रीनगर जैसे शहरों में 9 अस्पताल खोले गए हैं। इनमें सबसे बड़ा गांधी नगर में धन्वंतरि कोविड केयर अस्पताल है जिसमें 700 ऑक्सीजन बेड और 200 आईसीयू बेड हैं। दिल्ली में, सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर में 500 आईसीयू बेड की सुविधआ है।
डीआरडीओ ने देश भर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना का भी ऑर्डर दिया है। संगठन ने कहा कि ये ऑक्सीजन संयंत्र प्रति मिनट 1,000 लीटर तक ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकते हैं जो 190 रोगियों की जरूरत को पूरा करने की क्षमता रखता है। ये प्लांट प्रतिदिन 195 सिलेंडर तक चार्ज कर सकते हैं। ऑक्सीजन के उत्पादन को और बढ़ावा देने के लिए, डीआरडीओ ने SpO2 (ऑक्सीजन संतृप्ति) स्तर के आधार पर अपनी ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली विकसित की। इसे ऑक्सीकारे कहा जाता है। ये मैनुअल और ऑटोमेटिक होते हैं। 
इसे डीआरडीओ के बेंगलुरु स्थित डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेटरी द्वारा अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए विकसित किया गया था। सरकार ने बुधवार को ‘ऑक्सीकार’ प्रणाली की 1,50,000 इकाइयों की खरीद को मंजूरी दे दी। इसके अलावा, सुरक्षा अनुसंधान पर काम कर रहे डीआरडीओ की प्रयोगशाला ने सरकारी एजेंसी द्वारा बनाए गए अस्पतालों को 1,200 लीटर के 100 से अधिक सिलेंडर दिए हैं। डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला ने 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा का एक एंटी-कोविड-19 चिकित्सीय अनुप्रयोग विकसित किया है।

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