कोरोना महामारी के कारण कई राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन में बदलाव किए गए। इसी चरण में भारत में 26 जनवरी को मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस की रौनक पहले से फीकी रहने वाली है। कोरोना के खतरे को देखते हुए गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में कई बदलाव किए गए हैं। इस बार कार्यक्रम में 25 हजार से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो पाएंगे, इसके साथ ही 15 साल से कम उम्र के बच्चों को भी परेड देखने के लिए अनुमति नहीं मिलेगी।
परेड विजय चौक से शुरू होकर नेशनल स्टेडियम पर खत्म हो जाएगी। इससे पहले ये परेड लालक़िले तक जाती थी। यानी विजय चौक से लाल किले की दूरी तकरीबन 8.2 किलोमीटर है, लेकिन विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक की दूरी सिर्फ 3.3 किलोमीटर यानी कह सकते है कि इस साल की परेड आधे से कम दूरी में खत्म हो जाएगी।
परेड में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन किया जाएगा। हर बार मार्चिग दस्तों में 144 सैनिक होते थे, लेकिन इस बार सिर्फ 96 होंगे। इसके साथ ही जो परेड 12/12 के साइज़ के दस्ते में होती थी, वो इस बार 8/12 का मार्चिंग दस्ता होगा। यही नहीं इस बार राजपथ पर परेड देखने वाले लोगो की संख्या को काफी हद तक घटा दिया है। पहले तकरीबन एक लाख पंद्रह हज़ार लोग परेड देखते थे, लेकिन इस बार सिर्फ 25 हज़ार लोग ही परेड को देख पाएंगे। यही नहीं कोरोना के सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
इस बार परेड में हिस्सा लेने के लिए स्कूली बच्चों के लिए भी नियम तय किए गए है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों को परेड में हिस्सा नही लेने दिया जाएगा। वहीं कोरोना को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा और सेनेटाइजेशन का पूरा बंदोबस्त किया जाएगा। इस बार एंट्री और एग्जिट गेट की संख्या को भी बढ़ाया जा रहा है।
हर गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग का बंदोबस्त किया जा रहा है। 300 से ज़्यादा जगह पर हैंड सेनेटाइजर भी रखे जाएंगे। इसके साथ ही कई कोविड बूथ, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात किया जाएगा। गणतंत्र दिवस परेड में थलसेना का जो दस्ता हिस्सा लेगा वह अभी आर्मी डे परेड की रिहर्सल कर रहा है। 15 जनवरी को आर्मी डे परेड के बाद रिपब्लिक डे की रिहर्सल होगी। परेड में हिस्सा लेने वाले सभी सैनिको के लिए कोविड- बबल बनाया गया है। यानी इन्हें जरूरी टेस्ट के बाद आइसोलेट किया गया है। कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जा रहा है।