विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने भारत एवं अमेरिका के बीच रणनीतिक साझीदारी के प्रमुख स्तंभ टू प्लस टू संवाद की तीसरी बैठक को हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, सुरक्षा, नियम आधारित एवं नौवहन की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण और अत्यंत रचनात्मक करार दिया है।
डॉ. जयशंकर ने यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर के साथ टू प्लस टू वार्षिक बैठक में भाग लेने के बाद अपने वक्तव्य में कहा कि टू प्लस टू संवाद हमारी समग्र एवं वैश्विक रणनीतिक साझीदारी का वास्तविक दर्पण है। आज की बैठक में पोम्पियो के साथ उनकी विदेश नीति से जुड़े तमाम मुद्दों पर बहुत उपयोगी बातचीत हुई है। बीते कुछ वर्षों में हमारे देशों के संबंधों में बहुत सकारात्मक प्रगति हुई है। राजनीतिक सहमति एवं सहयोग, रक्षा आदान प्रदान एवं व्यापार, आर्थिक संवाद एवं वाणिज्य, विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवान्वेषण तथा ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में चहुमुंखी प्रगति हुई है। जनता के बीच संपर्क प्रगाढ़ हुए हैं और शिक्षा एवं पर्यटन के क्षेत्र में आवाजाही बढ़ी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पोम्पियो से उनकी बातचीत में कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने को लेकर अहम चर्चा हुई है। दोनों का मानना है कि वैक्सीन एवं उनका परीक्षण सामान्य स्थिति की बहाली के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक अधिक भरोसेमंद एवं टिकाऊ वैश्विक आपूर्ति शृंखला की स्थापना को लेकर भी संकल्प साझा किया और बताया कि भारत अमेरिका के साथ साझीदारी के साथ ही आर्थिक गतिविधियों की बहाली, टिकाऊ एवं सुधारों वाली व्यवस्था के निर्माण का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि टू प्लस टू संवाद का राजनीतिक एवं सैन्य एजेंडा दोनों देशों के घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करता है। एक बहुपक्षीय विश्व में हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं में स्वाभाविक रूप से प्रगति हुई है। हमारे रिश्ते ना केवल अपने अपने हितों बल्कि हमारे द्विपक्षीय सहयोग का विश्व समुदाय में सकारात्मक योगदान के लिए भी हैं। हम समुद्री सुरक्षा एवं आतंकवाद निरोधक उपायों जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी मिल कर काम कर रहे हैं जिनमें हिन्द प्रशांत क्षेत्र हमारी बातचीत का मुख्य केन्द्र है। हमने इस क्षेत्र के सभी देशों के लिए शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के महत्व को दोहराया है।
उन्होंने कहा कि यह केवल तभी संभव है जब नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हो, अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता हो तथा खुली कनेक्टिविटी के साथ ही सभी देशों की प्रादेशिक अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान हो। एक बहुध्रुवीय विश्व में एक बहुध्रुवीय एशिया होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पड़ोसी देशों में होने वाली गतिविधियों पर भी चर्चा हुई जिसमें भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमापार आतंकवाद कतई स्वीकार्य नहीं है। अफगानिस्तान के बारे में हमने कहा कि उसकी सुरक्षा एवं स्थिरता भारत के लिए बहुत अहम है।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत एक जनवरी 2021 को सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में प्रवेश करेगा। वह अन्य बहुपक्षीय मंचों पर अमेरिका के साथ मिल कर काम करने का इच्छुक है।विदेश मंत्री ने कोविड-19 महामारी के काल में अमेरिका के दोनों मंत्रियों की भारत यात्रा के लिए उनका आभार भी व्यक्त किया।