सुप्रीम कोर्ट ने ‘नाबालिग’ मुस्लिम लड़की की याचिका का जवाब देने में विफल रहने पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को तलब किया। इस लड़की ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमे उसके निकाह को अमान्य करार दे दिया गया है।
हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली लड़की का तर्क है कि वह 16 साल की है और मुस्लिम लॉ के तहत महिला के रजस्वला हो जाने की स्थिति (जो 15 साल की आयु है) प्राप्त करने के बाद वह अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय लेने और अपनी मर्जी से किसी के भी साथ शादी करने में सक्षम है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष गुरुवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया। पीठ ने तल्खी के साथ टिप्पणी की, ‘‘मुख्य सचिव को (कोर्ट में) पेश होने दीजिए। तभी वह मामले की गंभीरता समझेंगे।’’
पीठ ने बाद में, उप्र सरकार के गृह सचिव को समन किया और उन्हे 23 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के वकील को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिए जाने के बावजूद उसे संबंधित विभाग से उचित निर्देश नहीं मिले हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम गृह सचिव (उत्तर प्रदेश के) को व्यक्तिगत रूप से सोमवार को (23 सितंबर) को तलब करने के लिए बाध्य हैं।’’ इस मुस्लिम लड़की ने अयोध्या में एक युवक से निकाह कर लिया था। लेकिन अयोध्या की एक कोर्ट ने उसके विवाह को अमान्य करार देते हुए युवती को नारी निकेतन भेज दिया।
लड़की ने निचली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की को नारी निकेतन भेजने के आदेश को सही ठहराते हुए उसकी अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद, इस लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।