केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन कड़ाके की ठंड में रविवार को 53वें दिन जारी है। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों पर पिछले 52 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना कर रहे हैं। किसान यूनियन के सुप्रीम कोर्ट में निष्पक्ष लोगों की कमेटी गठित करने की याचिका पर अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने तो ऐसी बात सोची भी नहीं, न चर्चा की। हम कोर्ट में नहीं गए और अभी भी जाने का सवाल नहीं है।
उन्होंने कहा कि ‘लगभग दो महीनों से किसान ठंड के मौसम में परेशान हो रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार हमें ‘तारीख पे तारीख’ दे रही है और इस मामले को टालने की कोशिश कर रही है ताकि हम थक जाएं और अपनी मांग छोड़ दें। यह उनकी साजिश है।”
दरअसल नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं के साथ शुक्रवार को करीब पांच घंटे मंथन के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बहरहाल इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया।