श्योपुर : संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता एवं सहकारिता कर्मचारियों के हड़ताल के क्रम में वन कर्मचारियों ने भी हुंकार भरते हुए आंदोलन का ऐलान कर दिया। मप्र वन कर्मचारी संघ का कहना है कि लिखित आवश्वासन के बाद भी शासन कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर नहीं कर रहा है। इसी वजह से कर्मचारियों को आंदोलनात्मक रूख अख्त्यिार करना पड़ा है।
सीएम के नाम एसडीएम को प्रस्तुत ज्ञापन में कर्मचारी संघ ने उल्लेख किया है कि मप्र के विभिन्न वनांचलों में पदस्थ कार्यपालिक वन कर्मचारी, जो कि समाज के अंतिक बिंदु पर रहकर चौबीस घंटे वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा में तपती दोपहरी, कड़कड़ाती ठंड एवं घनघोर वर्षा में समाज एवं परिवार से दूर रहकर दबंगता के साथ वनों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। इतनी कठिन सेवा करने वाले वन कर्मचारियों का वेतनमान अन्य विभागों के कर्मचारियों से न्यूनतम है, जो चिंता का विषय होकर मनोबल गिराने वाला है।
वनांचल में पदस्थ कर्मचारियों की वेतन विसंगति की मांग पुरानी है, जिसके संबंध में अपर मुख्यसचिव वन श्रीमती रंजना चौधरी द्वारा वर्ष 2008 में लिखित समझौता किया था, लेकिन इसके बाद भी उनकी मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। वन कर्मचारियों का वेतन अन्य विभागों के कर्मचारियों से कम होना मनोबल गिराने वाला है।
वेतन विसंगति में सुधार को लेकर शासनने कई बार आश्वासन भी दिए, लेकिन आज तक आश्वासन सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित बने हुए हैं। इसी के चलते वन कर्मचारियों को आंदोलन की घोषणा करनी पड़ी है। ज्ञापन के दौरान बड़ी संख्या में वन कर्मचारी मौजूद थे।
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये पंजाब केसरी की अन्य रिपोर्ट।