सशस्त्र बलों के 120 अवकाशप्राप्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उन सोशल मीडिया पोस्ट और इन्हें प्रसारित करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है जिनके जरिए अफवाह फैलाई जा रही है कि 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के दौरान भारतीय सेना की मुस्लिम रेजीमेंट ने लड़ाई करने से इंकार कर दिया था।
पूर्व अधिकारियों द्वारा बुधवार को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी आह्वान किया गया है कि सरकार उन लोगों की जांच करे जिन्होंने ‘मुस्लिम रेजिमेंट’ संबंधी पोस्ट जारी किए और उनके खिलाफ निष्पक्ष एवं सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
पूर्व नौसेना अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण रामदास, अवकाशप्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल रामदास मोहन, अवकाशप्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल आरके नानावटी, अवकाशप्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल विजय ओबराय और अन्य लोगो ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए है। 14 अक्टूबर को दिए गए पत्र में कहा गया है कि यह “हमारे देश और हमारी सशस्त्र सेनाओं के लिए हानिकारक है। इसीलिए हम बलों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ” पर ध्यान दिलाना चाहते है, जो मनोबल और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।
उन्होंने कहा, “हम विशेष रूप से कई सोशल मीडिया पोस्ट का इस आशय से उल्लेख देख चुके हैं कि भारतीय सेना के एक ‘मुस्लिम रेजिमेंट’ ने पाकिस्तान के साथ भारत के 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने से इनकार कर दिया था और इसलिए उसे भंग कर दिया गया था।”