कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इसके बारे में पहले से अंदेशा था, लेकिन सरकार ने समय रहते स्थिति संभालने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह स्थिति सरकार के लिए शर्म का विषय होना चाहिए, लेकिन वह अपनी गलती भी स्वीकार नहीं करेगी।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘कृषि, वन और मत्स्य क्षेत्र को छोड़कर अर्थव्यवस्था के दूसरे सभी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। आर्थिक गिरावट के लिए दैवीय घटना को जिम्मेदार ठहराने वाले वित्त मंत्री को किसानों का और कृषकों पर कृपा करने वाले भगवान का आभारी होना चाहिए।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘सरकार के लिए यह शर्म का विषय होना चाहिए कि उसने सतत राजकोषीय एवं कल्याणकारी कदम उठाकर गिरावट को संभालने के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन हम जानते हैं कि मोदी सरकार को कोई शर्म नहीं है और वह अपनी गलती स्वीकार नहीं करेगी।’’
उन्होंने रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस स्थिति का अनुमान पहले से था और इसीलिए हमने सरकार को आगाह किया और ऐहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया। हमारी बातों को अनसुना कर दिया गया। पूर्व वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि अर्थव्यवस्था के फिर गतिशील होने और विकास दर सकारात्मक होने में कई महीनों का समय लगेगा। सरकार की निष्क्रियता और उसके बेखबर होने के कारण हमें आगे हालात सुधरने की उम्मीद नजर नहीं आती।
गौरतलब है कि कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए। इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है। सकल घरेलू उत्पाद में इससे पिछले वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।