थलसेना के दो अधिकारियों की बेटियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर सुरक्षा बलों के जवानों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नीति तैयार करने की मांग की है।
प्रीति केदार गोखले (19) और काजल मिश्रा (20) ने शीर्ष अदालत से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की है कि सैन्य ड्यूटी के दौरान उपद्रवी भीड़ या किसी व्यक्ति द्वारा सशस्त्र बलों के जवानों पर हमले की स्थिति में सुरक्षाकर्मियों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए वह एक समग्र नीति तैयार करे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सोमवार को इस मामले पर सुनवाई कर सकती है।
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याचिकाकर्ता प्रीति और काजल ने इस मामले में केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को प्रतिवादी बनाया है। प्रीति और काजल में से एक सेवारत थलसेना कर्मी और एक सेवानिवृत थलसेना कर्मी की बेटी है।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में हिंसा करने वालों द्वारा थलसेना के जवानों के मानवाधिकार उल्लंघनों के विभिन्न मामलों से निपटने में प्रतिवादियों की घोर निष्क्रियता से दुखी और असंतुष्ट होकर उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं से जवानों के कर्तव्य पालन में बाधा आती है और उनकी तैनाती की जगह पर उनकी सुरक्षा को भी खतरा पैदा होता है।