भोपाल: राजधानी भोपाल में गत दिवस हुए गैंगरेप की पीड़ित लड़की ने पहली बार मीडिया के सामने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने पुलिस के व्यवहार को सबसे गंदा बताते हुए कहा कि मैं भी पुलिस वाले की बेटी हूं। इस घटना के बाद पुलिस द्वारा मेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया गया, तो आम लोगों के साथ किस तरह का सुलूक पुलिस करती होगी, यह आप खुद समझ सकते हैं। हालांकि इस मामले में सरकार ने एक आईजी, एक एसपी जीआरपी, तीन टीआई और दो एसआई पर कार्रवाई कर चुकी है।
गैंगरेप से पीड़ित लड़की ने मीडिया के सामने उसके साथ जो हुआ उसकी पल-पल की जानकारी दी। पीड़ित लड़की ने बताया कि इस घटना के बाद उसका परिवार सदमे में है। इस दौरान भी पुलिस का व्यवहार सबसे गंदा था। जीआरपी के टीआई अंकल बेहद बदतमीज थे। तीन-चार थानों के चक्कर लगाए, लेकिन पुलिस ने हमारी कोई मदद नहीं की। पीडि़त लड़की ने कहा कि सिस्टम और पुलिस के प्रति उन्हें अफसोस नहीं बल्कि गुस्सा है। हादसे के दिन एसपी जीआरपी अनिता मालवीय महिला होते हुए भी मजे लेती रहीं। वह मेरी कहानी सुनकर हंसती हैं, तो न्याय की उम्मीद कहां रह जाती है। पोस्ट तो छोड़ो वे पुलिस की वर्दी पहनने लायक तक नहीं हैं।
पीडि़त लड़की ने कहा कि मेरी इस लड़ाई में मेरे माता-पिता हर दम मेरे साथ हैं। उन्होंने मुझे संभाला और आरोपियों के खिलाफ लडऩे की हिम्मत दी। उन दरिंदों के साथ रहम नहीं होना चाहिए। मैं गिड़गिड़ा रही थी। वे हंस रहे थे। उन सभी को बीच चौराहे पर फांसी दे देनी चाहिए। उन्होंने मीडिया के समक्ष अपील करते हुए कहा कि इस तरह की घटना के बाद परिजनों को पीडि़ता का साथ देते हुए आवाज उठाना चाहिए। चार दिन हो गए, मैं माता-पिता के साथ भटक रही हूं। कभी बयान के लिए थाने तो कभी जांच के लिए अस्पताल। पहले दिन एफआईआर दर्ज कराने के लिए संघर्ष करती रही। दूसरे दिन पुलिस ने बयान के लिए दिनभर थाने में बिठाकर रखा गया।
तीसरे दिन मेडिकल और चौथे दिन मुझे सोनोग्राफी के लिए बुलाया गया। वही सवाल, ‘क्या हुआ था? कहां हुआ था? कितने लोग थे? कैसे दिखते थे? क्या बोल रहे थे? सवाल इतने कि जवाब देते-देते गले से आवाज निकलना बंद हो जाती, लेकिन उनके सवाल खत्म नहीं होते।गौरतलब है कि राजधानी भोपाल में गैंगरेप की घटना के बाद बेटियों की सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। पूरा शहर गुस्से में है और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए, लेकिन पुलिस का व्यवहार अभी भी अडिय़ल बना हुआ है।
इस घटना के बाद तो पुलिस सड़क पर दिखी जरूर, लेकिन वह भी हेलमेट चैकिंग के लिए। घटना के चौथे आरोपी को पांच दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पुलिस उसकी तलाश में अब भी जुटी हुई है। पीडि़त छात्रा के सहपाठियों ने भोपाल को असुरक्षित बताते हुए पुलिस की निष्क्रियता को शर्मनाक बताया और कहा कि शहर का सबसे व्यस्त कहे जाने वाला क्षेत्र एमपी नगर सुरक्षित नहीं है तो फिर राजधानी का कौन सा क्षेत्र सुरक्षित माना जाए। हालांकि भोपाल के छह हजार वकीलों ने आरोपियों का केस नहीं लड़ने की बात कही है।