इस साल पांच प्रतिशत, अगले साल 6- 6.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है जीडीपी वृद्धि दर : देवरॉय - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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इस साल पांच प्रतिशत, अगले साल 6- 6.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है जीडीपी वृद्धि दर : देवरॉय

देवरॉय ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी जिस माहौल में वृद्धि कर रही है उसमें कहीं न कहीं संरक्षणवाद का प्रभाव है और इससे निर्यात में गिरावट आ रही है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन विवेक देवरॉय ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष (2019- 20) में देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने टाटा स्टील कोलकाता साहित्य सम्मेलन में कहा कि मौजूदा स्थिति में नौ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करना मुश्किल है। 
उन्होंने कहा, ‘‘महत्वाकांक्षी वृद्धि दर साढ़े छह से सात प्रतिशत के बीच हो सकती है। इस अवस्था में नौ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर पाना मुश्किल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहेगी और यह वास्तविक है न कि सांकेतिक। वहीं अगले साल (2020- 21) जीडीपी वृद्धि दर छह से साढ़े छह प्रतिशत के बीच कहीं रह सकती है।’’ 
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 20 में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। जबकि इससे पहले उसने अक्टूबर में इसके 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। देवरॉय ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी जिस माहौल में वृद्धि कर रही है उसमें कहीं न कहीं संरक्षणवाद का प्रभाव है और इससे निर्यात में गिरावट आ रही है। 
उन्होंने कहा, ‘‘जब देश नौ प्रतिशत जैसी तीव्र आर्थिक वृद्धि दर के साथ आगे बढ़ रहा था तब जीडीपी के मुकाबले निर्यात का अनुपात 20 प्रतिशत था। लेकिन अब परिदृश्य बदला हुआ है। विश्व व्यापार संगठन के धराशायी हो जाने के बाद विकसित राष्ट्र संरक्षणवादी हो गये हैं, जिसके कारण जीडीपी में निर्यात का बड़ा योगदान संभव नहीं हो पा रहा है।’’ देवरॉय ने कहा, ‘‘भारत सेवा क्षेत्र में मजबूत रहा है, न कि विनिर्माण में। ऐसे में देश को कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ेगा। यह विशेषकर क्षेत्रीय व्यापार समझौतों में कुछ पाने के लिये कुछ खोने वाली स्थिति है।’’ 
उन्होंने कर व्यवस्था के बारे में कहा कि देश अब बिना किसी छूट वाली स्थिर प्रत्यक्ष कर व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अभी भी विकास की प्रक्रिया में है। जीएसटी राजस्व के लिहाज से ठीकठाक रहने का अनुमान था। लेकिन जीएसटी आने के बाद सरकार का राजस्व कम हुआ है, जो वहनीय नही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब भविष्य में प्रत्यक्ष कर और जीएसटी दोनों में स्थिरता आ जाएगी, एक ऐसा समय आ सकता है जब संसद में बजट पेश करने की आवश्यकता नहीं रह जायेगी।

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