रायपुर: छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन धान को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। मुख्य सचिव के आदेश के बाद किसान असमंजस में हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में सूखे की स्थिति के मद्देनजर सरकार ने किसानों को रबी में धान की फसल नहीं लेने पर जोर दिया है। इधर राज्य शासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर एक तरह से किसानों को चेतावनी दे दी है।
प्रदेश में किसान मुख्य तौर पर रबी में भी धान की फसल ही लेते रहे हैं। रबी में धान की फसल उगाने की परंपरा ही रही है। सरकार ने जरूर दलहन एवं तिलहन पर जोर दिया है लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं। सूखे का हवाला देकर राज्य शासन ने रबी में धान की फसल लेने वाले किसानों की बिजली काट देने की भी चेतावनी दी है। वहीं तालाबों और जलाशयों के जरिए सिंचाई के लिए पानी नहीं देने पर भी एक तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि यह फरमान बीते साल भी जारी किया गया था। रबी में किसानों को धान की फसल लेने पर पंप कनेक्शन भी काट दिए गए थे। गांवों में मुनादी तक कराए जाने के बाद सरकार बुरी तरह घिरी हुई थी। वहीं सवाल उठाए गए थे कि किसान को अपने खेतों में कौन सी फसल लेनी है क्या अब सरकार यह तय करेगी। इधर राज्य शासन का दावा है कि प्रदेश में इस वर्ष कम बारिश की वजह से भी जलाशयों से पानी देने की स्थिति नहीं है।
स्टोर किए गए पानी को पेयजल और निस्तारी के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इधर प्रदेश में आर्थिक तंगी और कर्ज से लदे किसानों को रबी में धान को लेकर काफी उम्मीदें थी। सरकार के फैसले से ऐसे छोटे और मंझोले किसानों को निराशा हाथ लगी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में रबी में भी कई जिलों के लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल ली जाती है। सरकार के इस फरमान से इन किसानों को झटका लगा है।
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