रायपुर : छत्तीसगढ़ में चुनावी घमासान के बीच रमन सरकार फिर घोटाले के आरोपों में घिरती नजर आ रही है। केन्द्र सरकार की एक अधिकृत राष्ट्रीय एजेंसी सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट की सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देकर कांग्रेस ने रमन सरकार पर डीएमएफ में घोटाले के आरोप लगाए। एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के तीन ऐसे जिले जो पांचवी अनुसूची में आते हैं वहां कलेक्टरों के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया। रिपोर्ट का हवाला देकर कांग्रेस ने आरोप लगाए कि रमन सरकार ने डीएमएफ की राशि में भी बड़ी तादाद में नियमों का उल्लंघन कर बंदरबांट किया है। राज्य में डीएमएफ की राशि का वासतविक और जरूरतमंद क्षेत्र के विकास में उपयोग के बजाए यह कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया। सीएसई की रिपोर्ट मुताबिक छत्तीसगढ़ के 9 जिलों में डीएमएफ का अध्ययन किया गया है।
इसमें इनमें दंतेवाड़ा, कोरबा और रायगढ़ जिले में इस राशि का खनन प्रभावितों के हितों में उपयोग के बजाए निर्माण में उपयोग किया गया है। जबकि सबसे अधिक राशि खनन प्रभावितों के लिए निवेश होना चाहिए था। कांग्रेस के प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मीडिया में सीएसई की रिपोर्ट के संबंधित तथ्यों को उजागर कर आरोप जड़े कि राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के नियमों को ही बदल दिया। चुनावी वर्ष में लाभ लेने के लिए नियम विरूद्ध निवेश किए गए। यहां तक की डीएमएफ की राशि को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में लगा दिया गया। कांग्रेस का दावा है कि रमन सरकार ने केन्द्र की योजनाओं में डीएमएफ की राशि को डायवर्ट कर नियमों का उल्लंघन किया है। कांग्रेस ने ऐलान किया कि इसके खिलाफ पार्टी सड़क पर सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करते हुए संबंधित कलेक्टरों के खिलाफ एफआईआर कराएगी। कांग्रेस ने यह आरोप लगाकर हड़कंप मचाया कि डीएमएफ की 99 फीसदी राशि कलेक्टरों के जरिए कमीशनखोरी में जा रही है।