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जाति प्रमाणपत्र का मामला फिर पहुंचा उच्च न्यायालय

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जबलपुर: मध्यप्रदेश के कटनी जिले की बड़वारा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक मोती कश्यप के जाति प्रमाण पत्र का मामला पुन: उच्च न्यायालय पहुंच गया है। जाति प्रमाण-पत्र की शिकायत के संबंध में गठित प्रदेश स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी द्वारा विधायक के खिलाफ दायर शिकायत का निराकरण निर्धारित समय अवधि में नहीं किये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है।

न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने आज याचिका की सुनवाई करते हुए स्क्रूटनी कमेटी के चेयरमेन और श्री कश्यप को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता रामलाल कोल की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2008 में हुए विस चुनाव में बड़वारा विधानसभा सीट से निर्वाचित श्री कश्यप के निर्वाचन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।

बड़वारा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित है और श्री कश्यप उस वर्ग में नहीं आते। याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि श्री कश्यप एसटी वर्ग में नहीं आते हैं और उनका निर्वाचन शून्य कर दिया था।

भाजपा विधायक ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन आदेश पारित किये थे। विधानसभा का कार्यकाल पूर्ण होने जाने के कारण उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ लगी उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

अब उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि भाजपा विधायक के फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत उन्होंने राज्य स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी से की थी। सत्तारूढ़ दल के विधायक होने के कारण कमेटी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। नियमानुसार उच्च स्तरीय कमेटी को तीन माह में जांच करनी थी, लेकिन चार माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी उसकी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया है।

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