कर्नाटक और गोवा में मचे सियासी संग्राम को लेकर विपक्ष लगतार बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहा है। राज्य सभा में कर्नाटक और गोवा का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, काश मैं खुश परिस्थितियों में बोल रहा होता। मैं केवल इसलिए दुखी नहीं हूं कि भारत कल क्रिकेट मैच हार गया, मैं दुखी हूं कि लोकतंत्र को हर दिन एक झटका लग रहा है।
पी चिदंबरम ने कहा कि हमने कर्नाटक और गोवा में जो देखा है वह राजनीतिक उत्थान हो सकता है, लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। बजट पर बोलते हुए पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि बजट दस्तावेज की पहुंच देश के सभी लोगों तक नहीं है और इस वजह से देश को आंकड़े पता चलने चाहिए, क्योंकि उन्होंने सिर्फ टीवी पर बजट भाषण देखा है।
देश की सेना, महिलाओं, मनरेगा, स्वास्थ्य के लिए क्या बजट तय हुआ है, यह देश की जनता को जानने का हक है। उन्होंने कहा कि सरकार विकास दर के अलग-अलग आंकड़े पेश करती है लेकिन इसकी सच्चाई जानने का हक जनता को है। उन्होंने कहा कि सरकार ढांचागत सुधारों की बात करती है लेकिन हर बदलाव सुधार नहीं है, कोई मामूल बदलाव भी सुधार की श्रेणी में नहीं आ सकता।
सरकार से पूछता हूं कि वह बजट भाषण में एक भी ढांचागत सुधार दिखा दे. चिदंबरम ने कहा कि पिछले 20-25 साल में सिर्फ 11 बड़े ढांचागत सुधार हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ बोलने से ढांचागत सुधार नहीं हो जाते। उन्होंने कहा की 62,907 खाली पदों के लिए बेरोजगारी की गंभीरता केवल 1 पूर्व द्वारा देखी जा सकती है, 82 लाख लोगों ने आवेदन किया, उनमें से 4,19,137 बीटेक स्नातक थे और 40.751 इंजीनियरिंग में परास्नातक थे।
यह वह अर्थव्यवस्था है विरासत में मिला। मैं उसके लिए दोष नहीं देता। लेकिन वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए, आपको मजबूत होना चाहिए। सरकार के पास एक शानदार जनादेश है, लोकसभा में 303 लोग हैं। डॉ. मनमोहन सिंह और मैंने नोटों का आदान-प्रदान किया है और हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में कुछ समय के लिए उन्हें इस तरह का जनादेश मिले।