कृषि कानून को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 28वें दिन जारी है। वहीं सरकार से अगले दौर की वार्ता को लेकर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेता फैसला लेंगे। इस बीच किसान संगठनों की बैठक शुरू हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार किसानों की इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि सरकार से बातचीत करनी है या नहीं। सरकार ने किसान संगठनों के नेताओं को भेजे प्रस्तावों पर वार्ता के लिए उन्हें आमंत्रित किया है।
इस बैठक से पहले किसान नेता ने कहा कि केंद्र सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है और हम भी अपनी मांग पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाई जाती है तो हम उसे नहीं मानते हैं। सिंघु (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी ने बताया, “जो चिट्ठी सरकार ने भेजी है आज उसका जवाब दिया जाएगा। हम 24 घंटे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन वे बात नहीं करना चाहते क्योंकि उनके मन में खोट है।
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के एक नेता ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आज (बुधवार) सरकार के प्रस्तावों पर बातचीत के मसले पर फैसला लिया जाएगा। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यों की एक समिति बनाई गई है जो यह तय करेगी कि सरकार के प्रस्तावों पर बातचीत के लिए जाना चाहिए या नहीं इस संबंध में समिति द्वारा तय निर्णय के अनुसार बातचीत के लिए तैयार किए जाने वाले मसौदे पर फिर संयुक्त मोर्चा में शामिल सभी संगठनों की राय ली जाएगी।
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयक संसद में पेश किए गए और दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए।
देश में आज किसान दिवस मनाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दोपहर का खाना छोड़ने का फैसला लिया है। दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसान संगठन इन तीनों काूननों को वापस लेने की मांग कर हरे हैं जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है।