आदिवासियों का घर जलाने के मामले में अफसर घेरे में - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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आदिवासियों का घर जलाने के मामले में अफसर घेरे में

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में करीब एक दशक पहले आदिवासियों के घर जलाने के मामले में रमन सरकार के साथ अफसरों की कार्यप्रणाली घेरे में आ गई है। तत्कालीन पुलिस अफसरों की भूमिका पर इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के जगरगुंडा समेत कोंडासवाली, कामरागुड़ा गांव में आदिवासियों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था।

इस मामले में आरोप लगे थे कि घरों को जलाने में पुलिस की भूमिका रही है। नक्सलियों की मुखबिरी के शक में घरों को जला दिया गया था। हालांकि यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर भी गरमाता रहा है। सलवा जुडूम आंदोलन के दौरान आदिवासियों पर हुई ज्यादती की वजह से ही विवाद गहराया था। इस मामले में आयोग ने कड़ी टिप्पणी कर दी है। वहीं साफ तौर पर कह दिया कि है गांव में आगजनी और हयाओं के मामले में इतने सालों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करना यह बताता है कि सरकार के अफसर ही इसमें शामिल रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अंतिम निर्णय से पहले आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। बस्तर के हालातों को लेकर आयोग ने खुद संज्ञान लेकर सरकार को फटकार लगानी शुरू कर दी है। बस्तर में पुलिस प्रशासन की संदिग्ध भूमिका और आदिवासियोसं को प्रताडऩा के मामले में लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। तत्कालीन एक आला अफसर की भूमिका पर विपक्ष भी लगातार हमले करता रहा है।

विपक्ष के दबाव के बाद ही सरकार ने संबंधित एक अफसर को वहां से हटाया था। आगजनी का यह मामला हाईप्रोफाईल रहा है। इधर बस्तर में विकास के सरकारी दावेां के बावजूद वर्तमान में भी आदिवासियों की स्थिति को लेकर भी आयोग ने संज्ञान लिया है। आदिवासियों को सौ रूपए के राशन के लिए सौ किमी दूर चलकर जाने के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

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