अरूणाचल प्रदेश में लापता वायु सेना के ए एन-32 परिवहन विमान का अभी तक पता नहीं चला है और सेना,नौसेना, इसरो तथा अन्य एजेन्सियों के बाद अब दिन-रात चलाये जा रहे तलाशी अभियान में सेना के मानव रहित यानों की भी मदद ली जा रही है। वायु सेना ने कहा है कि विमान का पता लगाने के अभियान में तेजी लायी गयी है और अब सेना के मानव रहित यानों की भी मदद ली जा रही है।
खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टरों से तलाशी अभियान को रात में रोक दिया गया था लेकिन अन्य विमानों के साथ-साथ सेना तथा स्थानीय पुलिस की जमीनी टीम निरंतर खोज अभियान में जुटी हुई हैं और लापता विमान का पता लगाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। लापता विमान में सवार सभी वायु सैनिकों के परिजनों को तलाशी अभियान की ताजा जानकारी से अवगत कराया जा रहा है।
विमान में चालक दल सहित 13 वायु सैनिक सवार हैं। तलाशी अभियान में परिवहन विमान सी-130, ए एन-32, एम आई -17 हेलिकॉप्टरों और सेना के हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ नौसेना के टोही विमान को भी लगाया गया है। पी-8आई विमान विशेष रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल तथा इन्फ्रा रेड सेंसर से लैस है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के उपग्रह कार्टोसेट तथा रिसेट भी दुर्घटना के संभावित क्षेत्र की लगातार तस्वीरें ले रहे हैं। ए एन-32 विमान ने सोमवार को दिन में 12 बजकर 25 मिनट पर असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले स्थित मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए उडान भरी थी।
एक बजे के करीब इस विमान का नियंत्रण कक्ष और अन्य एजेन्सियों से संपर्क टूट गया। वायु सेना ने विमान से संपर्क टूटने और इसके गंतव्य तक नहीं पहुँचने पर उसकी तलाश के लिए जरूरी कार्रवाई शुरू कर दी थी। ए एन-32 विमान का सबसे भयानक हादसा 22 जुलाई 2016 में हुआ था। चेन्नई के ताम्बरम हवाई अड्डे से उडान भरने वाला वह विमान पश्चिम बंगाल की खाड़ के उपर उडान के दौरान लापता हो गया था। उस विमान में 29 लोग सवार थे और इसके बारे में बाद में कोई सुराग नहीं मिला। दस वर्ष पहले 2009 में भी अरूणाचल प्रदेश में भी एक ए एन-32 विमान लापता हो गया था। उस विमान में भी 13 लोग सवार थे। वर्ष 1999 में दिल्ली में ए एन-32 विमान दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गयी थी।