भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को यानी आज अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त की और वास्तव में समावेशी सरकार स्थापित करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण का आह्वान किया। बता दें कि भारत मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक की मेजबानी कर रहा है, जिसका उद्देश्य व्यापार, संपर्क और विकास सहयोग पर विशेष ध्यान देने के साथ सदस्य देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है।
अफगानिस्तान से भारत के संबंध पर कही यह बात
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "हम सभी अफगानिस्तान के साथ गहरे संबंध साझा करते हैं और देश के लिए हमारी चिंताओं और उद्देश्यों में एक सच्ची और प्रतिनिधि सरकार, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई और अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण शामिल है।" उन्होंने कहा, "हमें अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने के तरीके खोजने चाहिए।"
जानें किन देशों के विदेश मंत्रियों की देखि गई भागेदारी
इस संवाद में तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उजबेकिस्तान के विदेश मंत्रियों की भागीदारी देखी जा रही है। कजाकिस्तान के विदेश मंत्री मुख्तार तिलुबेर्दी ने कहा कि इस आयोजन से द्विपक्षीय, राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा,"मुझे विश्वास है कि यह मंच हमारी साझा प्राथमिकताओं और हमारी साझेदारी को नए स्तरों पर ले जाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए एक मील का पत्थर के रूप में कार्य करता है।"
संवाद को संबोधित करते हुए, ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन ने कहा कि उनका देश बातचीत को पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के विकास और मजबूती के लिए महत्वपूर्ण मानता है। उन्होंने कहा, "भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जहां एक शक्तिशाली औद्योगिक आधार बनाया गया है।"
तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री राशिद मेरेदोव ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि मध्य एशिया-भारत वार्ता स्वाभाविक और निष्पक्ष है। उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि आज की बातचीत आगे की साझेदारी, हमारे पदों के समायोजन और सहयोग के नए लक्ष्यों के प्रति दृष्टिकोण के लिए सही दिशा-निर्देश निर्धारित करेगी।"
राजनयिक संबंधों को बढ़ने के लिए भारत की तत्परता का दिया आश्वासन
एस जयशंकर ने राजनयिक संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए भारत की तत्परता का आश्वासन देते हुए कहा कि भारत-मध्य एशिया संबंधों को 4 सी- वाणिज्य, क्षमता वृद्धि, कनेक्टिविटी और संपर्कों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि यह बैठक तेजी से बदलती वैश्विक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के बीच हो रही है।
जयशंकर ने उठाया वैश्विक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को लगे बड़े झटके का मुद्दा
उन्होंने कहा कि "कोविड -19 स्थिति के परिणामस्वरूप वैश्विक स्वास्थ्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। इसने समाज और कार्यस्थलों, आपूर्ति परिवर्तन और शासन की कल्पना करने के तरीके को बदल दिया है। इसने मौजूदा बहुपक्षीय ढांचे की अपर्याप्तता को पूरा करने के लिए भी उजागर किया है। भाग लेने वाले देशों के बीच सहयोग के अच्छे इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, हमारे देशों ने हमारे संबंधों की गति को बनाए रखा है।"
जयशंकर ने कहा कि "कोविड ने सभी देशों को प्रभावित किया है। भारत ने 90 से अधिक देशों को टीकों की आपूर्ति की; महामारी के दौरान भारतीय छात्रों के कल्याण ने हमारे संबंधों की गति को बनाए रखा। हम साथ मिलकर इसे बेहतर कर सकते हैं।"