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भारत ने सीमा पर तैनात किया एयर डिफेंस सिस्टम,चालबाजी की चीन को भारी कीमत चुकानी होगी

हाल ही में सीमा के नजदीक भारतीय वायुसेना के युद्ध अभ्यास के बाद , चीनी लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स की गतिविधियों में तेजी देखी गयी। भारत ने भी इस आक्रामकता का जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख में अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइलों को तैनात कर दिया है।

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव आये दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस टेंशन की बड़ी वजह है चीनी सेना की उकसावे वाली कार्यवाही, जिसकी वजह से भारत ने भी लगातार चीन से सटी सीमा  पर लगातार अपनी सैन्य तैनाती में इज़ाफ़ा किया है। हाल ही में सीमा के नजदीक भारतीय वायुसेना के युद्ध अभ्यास के बाद , चीनी लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स की गतिविधियों में तेजी देखी गयी। भारत ने भी इस आक्रामकता का जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख में अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइलों को तैनात कर दिया है।
 भले ही चीन कितना भी प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश करे पर रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत के प्रति आक्रामक सैन्य रवैया अपनाने के लिए चीन को दशकों तक ‘‘भारी कीमत’’ चुकानी पड़ेगी क्योंकि इससे वह देश वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ जायेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख और दक्षिण चीन में पिछले कुछ महीनों में चीन के दुस्साहस की उसे व्यापक स्तर पर आर्थिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि इसने बीजिंग के ‘‘असली चेहरे’’ को उस समय ‘‘बेनकाब’’ किया है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है। 
विशेषज्ञों ने अमेरिका के साथ चीन के ‘टैरिफ वॉर’ और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ती तकरार और हांगकांग में तेजी से बिगड़ती स्थिति का भी जिक्र किया। सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा, ‘‘चीन ने पूर्वी लद्दाख में आक्रामक सैन्य रवैया अपनाकर एक बड़ी गलती की है। यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है। चीन ने खुद को वैश्विक स्तर पर बेनकाब कर दिया है।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘चीन को यह काफी महंगा पड़ेगा। गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों के मारे जाने की उसे दशकों तक कीमत चुकानी होगी। चीन ने भारत और अन्य स्थानों पर अपनी साख को खो दिया है।’’ गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई ने इस दृष्टिकोण को मजबूत किया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ‘‘सिर्फ एक राजनीतिक’’ बल है और यह सैन्य मानकों के अनुरूप नहीं है। 
सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि चीन ने अपनी अस्वीकार्य सैन्य आक्रामकता से खुद को अलग-थलग कर लिया है और इसके लिए इस देश को भारी कूटनीतिक और आर्थिक कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने इस आक्रामकता से खुद को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर अलग-थलग कर लिया है और इसकी उसे कीमत चुकानी होगी।’’ उन्होंने हांगकांग, दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ पूर्वी चीन सागर को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का भी जिक्र किया। 
जनरल साहा ने चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के बारे में भी बात की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के बढ़ते व्यापार संकट का भी जिक्र किया। 
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले छह सप्ताह से गतिरोध बना हुआ है और गत 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

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