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अहिंसा और करुणा के मार्ग पर चलने वाला भारत दूसरे देशों के लिए एक आदर्श है : दलाई लामा

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा है कि वह भारत में ‘‘ सबसे लंबे समय तक रहने वाले अतिथि’’ हैं, जो कभी अपने मेजबान को किसी परेशानी में नहीं डालेगा।

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के सह-अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद और अन्य के साथ ऑनलाइन वार्तालाप की।  इस दौरान उन्होंने कहा है कि वह भारत में ‘‘ सबसे लंबे समय तक रहने वाले अतिथि’’ हैं, जो कभी अपने मेजबान को किसी परेशानी में नहीं डालेगा।
उन्होंने कहा कि अहिंसा और करुणा के मार्ग पर चलने वाला भारत दूसरे देशों के लिए एक आदर्श है। उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि मैंने हमेशा कहा कि भारत मेरा घर है। मेरा जन्म तिब्बत में हुआ है…लेकिन मेरा अधिकांश जीवन इसी देश में बीता…मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं भारत सरकार का अतिथि हूं। मुझे लगता है कि मैं भारत सरकार का सबसे लंबे समय तक अतिथि रहा हूं। लेकिन एक ऐसा अतिथि जो कभी अपने मेजबान के लिए परेशानी नहीं खड़ा करेगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत में ‘‘धार्मिक सौहार्द उल्लेखनीय’’ है और ‘‘मीडिया स्वतंत्र’’ है। भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बताते हुए, तिब्बती नेता ने कहा कि वह ‘‘अहिंसा और करुणा’’ को बढ़ावा दे रहे हैं, जो भारतीयों के अंतर्भूत मूल्य हैं और जिनका हजारों वर्षों से पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ एक अरब से अधिक आबादी होने के बावजूद, भारत धार्मिक सौहार्द का एक उत्तम उदाहरण है। ऐसा राजनीतिक कारणों की वजह से नहीं बल्कि उसके लोगों की वजह से है। कुछ देशों को भारत के धार्मिक सौहार्द के सिद्धांतों से सीखने की जरूरत है।’’
दलाई लामा ने चिकित्सा जगत को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अधिक करुणामय होने की सलाह दी। लामा का मंगलवार को 86वां जन्मदिन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी का शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया करते हुए दलाई लामा ने कहा कि वह कम से कम 110 साल के होने के तक जीने को प्रतिबद्ध हैं।

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