केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा से आए हजारों किसानों का 6 दिनों से प्रदर्शन जारी है। किसानों के इस आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को किसान आंदोलन के बारे में चिंता व्यक्त की। जिसपर भारत ने जवाब देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने कनाडाई नेताओं द्वारा भारत में किसानों से संबंधित कुछ ऐसी टिप्पणियों को देखा है जो भ्रामक सूचनाओं पर आधारित है। इस तरह की टिप्पणियां अनुचित हैं, खासकर जब वे एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हों।’’ मंत्रालय ने एक संदेश में कहा, ‘‘बेहतर है कि कूटनीतिक बातचीत राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं की जाये।’’
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दरअसल, ट्रूडो ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 551 वीं जयंती के अवसर पर कनाडाई सांसद बर्दिश चग्गर द्वारा आयोजित एक फेसबुक वीडियो कांफ्रेंस में भाग लेते हुए ये चिंता जाहिर की। उनके साथ कनाडा के मंत्री नवदीप बैंस, हरजीत सज्जन और सिख समुदाय के सदस्य शामिल थे। बातचीत के दौरान अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा, “अगर मैं किसानों द्वारा विरोध के बारे में भारत से आने वाली खबरों की बात करूं तो स्थिति गंभीर है और हमें स्थिति बिगड़ने की चिंता है।
इसके आगे प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा “आपको याद दिला दूं, शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हम बातचीत के महत्व पर विश्वास करते हैं और इसीलिए हम अपनी चिंताओं को उजागर करने के लिए सीधे भारतीय अधिकारियों के पास कई माध्यमों से पहुंच गए हैं।” हालांकि पीएम ट्रूडो की टिप्पणी पर भारतीय अधिकारियों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जानकारी के मुताबिक यह टिप्पणियां कनाडा के प्रभावशाली भारतीय मूल के प्रवासी लोगों को ध्यान में रखकर की गई है।