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भारत बनाएगा अपना अंतरिक्ष केंद्र, शुक्र पर भेजेगा मिशन : के सिवन

गगनयान के एक-एक कलपूर्जे से लेकर इसमें काम आने वाली सभी चीजें और इससे जुड़ी सभी वैज्ञानिक भी भारतीय होंगे।

भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अगले वर्ष 6 माह के भीतर सौर मिशन तथा अगले दो-तीन वर्ष में शुक्र मिशन भेजने की घोषणा की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने गुरुवार को यहाँ पत्रकारों को यह जानकारी दी।
इस संबंध में आगे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह बहुत बड़ा अंतरिक्ष केंद्र नहीं होगा। यह 20 टन वजन का छोटा अंतरिक्ष केंद्र  होगा। शिवन ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य वहाँ स्थायी रूप से वैज्ञानिकों को रखना नहीं है। हम प्रयोग को अंजाम देने के लिए अपना मॉड्यूल भेजेंगे। गगनयान मिशन के बाद हम सरकार को अपना प्रस्ताव भेजेंगे।’’ उन्होंने बताया कि अगले एक दशक में भारत का अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित हो सकता है। अंतरिक्ष केंद्र की लागत के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि अभी उसका आकलन नहीं किया गया है।
चंद्रयान भाग-दो की तिथियों की घोषणा के एक दिन बाद इसरो के इस ऐलान से देश का गौरव और बढ़ा है। अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष में देश के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है और अगले छह महीने के भीतर चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

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उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से भारतीय मिशन होगा। गगनयान के एक-एक कलपूर्जे से लेकर इसमें काम आने वाली सभी चीजें और इससे जुड़ी सभी वैज्ञानिक भी भारतीय होंगे। डॉ. शिवन ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों का आरंभिक प्रशिक्षण और मॉड्यूल विशेष का प्रशिक्षण देश में ही दिया जाएगा जबकि विशेष प्रशिक्षण के लिए यदि जरूरत हुई तो अंतरिक्ष यात्रियों को विदेश भी भेजा जा सकता है। 
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी यह परिकल्पना बेहद शुरुआती दौर में है। दिसंबर 2020 में गगनयान मिशन के बाद इस पर फोकस किया जाएगा और इसलिए अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी देना संभव नहीं है। डॉ. शिवन ने बताया कि इसरो अगले दो-तीन साल में शुक्र पर भी एक मिशन भेजेगा।गगनयान का प्रक्षेपण दिसंबर 2021 में होना है। उससे पहले दिसंबर 2020 में बिना अंतरिक्ष यात्रियों के पहला गगनयान भेजा जाएगा और उसके छह महीने बाद दूसरा गगनयान भेजा जाएगा।

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