केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत जलवायु संबंधी अपनी आकांक्षाओं को बढ़ाएगा लेकिन वह ऐसा दबाव में नहीं करेगा। जावड़ेकर ने कहा कि भारत विकसित देशों से वित्त और सहायता और उनके जलवायु कार्यों के बारे में पूछना जारी रखेगा।
जावड़ेकर ने यह टिप्पणी फ्रांस दूतावास में फ्रांसीसी मंत्री ज्यां यवेस ले द्रियां के साथ मुलाकात के बाद अपने भाषण में की। उन्होंने कहा कि भारत जी 20 का एकमात्र देश है जिसने पेरिस जलवायु समझौते पर जो कहा, वह किया और “ हमने अपने वादे से ज्यादा किया है।”
जावड़ेकर ने कहा कि कई देश अपनी पूर्व-2020 प्रतिबद्धताएं भूल गए हैं और वे अब 2050 की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ कई देश अब कह रहे हैं कि कोयले का इस्तेमाल नहीं करें, लेकिन विकल्प कोयले से काफी सस्ता होना चाहिए, तभी लोग कोयले का इस्तेमाल बंद करेंगे।” मंत्री ने कहा कि भारत दूसरों के कदमों के कारण भुगत रहा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप और चीन ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं जिसे दुनिया भुगती है। जावड़ेकर ने कहा कि जुलवायु बहस में एक प्रमुख चीज़ ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “ हमें गरीब देशों के लिए जलवायु न्याय को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्हें विकास करने का अधिकार है। विकसित देशों ने जो किया है, उसके लिए उन्हें पूंजी देनी चाहिए।”