वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संकेत दिया कि भारत सरकार केयर्न एनर्जी मामले में अंतराष्ट्रीय पंचनिर्णय मंच के आदेश के खिलाफ अपील करेगी। पंचनिर्णय फोरम ने सरकार को आदेश दिया है कि वह कर संबंधी विवाद में ब्रिटेन की केयर्न एनजी कंपनी को 1.4 अरब डॉलर की राशि वापस करे।
सीतारमण ने कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वह ऐसे मामलों में अपील करें जहां राष्ट्र के कर लगाने के संप्रभु अधिकार पर सवाल उठाया गया हो। सरकार पिछले साल अंतराष्ट्रीय पंचनिर्णय अदालतों में दो चर्चित मामलों में मुकदमा हार गई। इन दोनों ही मामलों में ब्रिटेन की कंपनियों पर भारत के आयकर कानून में पिछली तिथि से प्रभावी संशोधन के तहत कर आरोपित किए गए थे।
इनमें से वोडाफोन ग्रुप से जुड़े फैसले को सरकार ने सिंगापुर की एक अदालत में चुनौती दी है। इस फैसले में वोडाफोन पर भारत में 22,100 करोड़ रूपए के कर की मांग को निरस्त कर दिया गया था। सरकार ने अभी केयर्न एनर्जी के मामले में 21 दिसंबर, 2020 के निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की है। इस निर्णय में भारत को केयर्न के खिलाफ 10,247 करोड़ रूपए की कर की मांग के संबंध में कंपनी के जब्त कर के बेच दिए गए शेयरों का दाम, जब्त लाभांश तथा वापस नहीं किए गए कर रिफंड को लौटाने का आदेश है।
सीतारमण ने कहा, ‘हम पिछली तिथि से काराधान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके है। हमने 2014, 2015, 2016, 2017, 2019, 2020 में इसको दोहराया और अब भी वही कह रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें स्पष्टता की कोई कमी है।’ वित्त मंत्री ने कहा कि 2012 में आयकर में पिछली तिथि से प्रभावी किए गए संशोधन के आधार पर मोदी सरकार ने कर का कोई नया नोटिस जारी नहीं किया है।
उन्होंने कहा , मुझे जहां दिखता है कि पंचनिर्णय मंच के आदेश में कर लगाने के भारत के संप्रभु अधिकार पर सवाल उठाया गया है….यदि सवाल कर लगाने के संप्रभु अधिकार के बारे में है, तो मैं अपील जरूर करूंगी। अपील करना मेरा कर्तव्य है।