आज लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश किया जा रहा है। सदन में इस विषय को लेकर विपक्ष का जोरदार हंगामा हो रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने निचले सदन में जम्मू कश्मीरी पुनर्गठन विधेयक 2019 और जम्मू कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 सदन में चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया।
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संकल्प पेश करते हुए गृहमंत्री शाह ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति यह घोषणा करते है उनके आदेश के बाद अनुच्छेद 370 के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन विधेयक को विचार के लिए रखा जाए, जिसे राज्यसभा की मंजूरी बिल चुकी है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि आप पीओके के बारे में सोच रहे हैं, आपने सभी नियमों का उल्लंघन किया और एक राज्य को रातोंरात केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया। आप कहते हैं कि यह एक आंतरिक मामला है। लेकिन 1948 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है, क्या यह आंतरिक मामला है? हमने शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जो एक आंतरिक मामला या द्विपक्षीय है?
उन्होंने कहा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने माइक पोम्पेओ से कहा कि कुछ दिन पहले कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप न करें। क्या जम्मू कश्मीर अभी भी आंतरिक मामला हो सकता है? हम जानना चाहते हैं। पूरी कांग्रेस पार्टी आपके द्वारा प्रबुद्ध होना चाहती है।
बिल पर बहस के बीच अमित शाह ने कहा, जम्मू और कश्मीर भारत संघ का अभिन्न अंग है। पीओके पर बोलते हुए जब विपक्ष ने हंगामे किया तो शाह ने इस पर बोलते हुए कहा, जान दे देंगे इसके लिए। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसे लेकर कोई कानूनी विवाद नहीं है। भारत के संविधान और जम्मू-कश्मीर के संविधान में इसे स्पष्ट किया गया है। मैं सदन में जब-जब जम्मू-कश्मीर राज्य बोलता हूँ तब-तब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन दोनों इसका हिस्सा हैं, ये बात है। संसद को जम्मू-कश्मीर पर कानून बनाने का अधिकार है।
कश्मीर पर सरकार के संकल्प का विरोध करते हुए कांग्रेस के सदस्य मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा कि संसद में आज जो हो रहा है, यह संवैधानिक त्रासदी है। 1952 से लेकर जब जब नये राज्य बनाये गये हैं या किसी राज्य की सीमाओं को बदला गया है तो बिना विधानसभा के विचार-विमर्श के नहीं बदला गया है।
उन्होने कहा, भारतीय संविधान में केवल अनुच्छेद 370 नहीं है। इसमें अनुच्छेद 371 A से I तक है। वे नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र, सिक्किम आदि को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। आज जब आप धारा 370 को समाप्त कर रहे हैं, तो आप इन राज्यों को क्या संदेश भेज रहे हैं?।
मनीष तिवारी ने कहा कि आप कल अनुच्छेद 371 को निरस्त कर सकते हैं? उत्तर पूर्वी राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करने और संसद में उनकी विधानसभाओं के अधिकारों का उपयोग करके, आप अनुच्छेद 371 को भी रद्द कर सकते हैं? आप देश में किस तरह की संवैधानिक मिसाल कायम कर रहे हैं?।