बेंगलुरू : सत्तारूढ़ कांग्रेस और (जद-एस) के विधायकों के इस्तीफे की सुगबुगाहट कर्नाटक विधानसभा में गूंजने लगी है। विपक्षी दल भाजपा ने बहुमत साबित करने की मांग के बीच 10 दिन के सत्र के लिए शुक्रवार को बैठक बुलाई है।
एक मनोनीत सदस्य सहित 225 सदस्यीय विधानसभा में, 16 विधायकों के इस्तीफे से पहले कांग्रेस के पास 79 जबकि जद-एस के पास 37 विधायक थे। इसके अलावा बीएसपी और क्षेत्रीय दल केपीजेपी के एक-एक सदस्य के अलावा एक निर्दलीय सदस्य भी सरकार के साथ थे।
कांग्रेस के 13 और जद-एस के 3 विधायकों ने अपने इस्तीफे दे दिए थे। इसके अलावा केपीजेपी व निर्दलीय विधायक ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
अब अगर विधानसभा अध्यक्ष सभी इस्तीफों को स्वीकार कर लेंगे तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमट जाएगा। इस स्थिति में सत्ता में बने रहने के लिए 105 के जादुई आंकड़े की जरूरत होगी।
अध्यक्ष ने हालांकि इस्तीफे स्वीकार करने से इंकार कर दिया है, कहा गया है कि उनमें से कुछ निर्धारित प्रारूप में नहीं थे और अन्य को व्यक्तिगत रूप से समझाने की आवश्यकता है कि उनके खिलाफ क्यों न एंटी-डिफेक्शन कानून के तहत कार्रवाई की जाए।
इसके बाद बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। शीर्ष अदालत ने उन्हें गुरुवार शाम 6 बजे अध्यक्ष से मिलने के लिए कहा और अध्यक्ष को तुरंत फैसला लेने की हिदायत दी।
दूसरी ओर, भाजपा 105 विधायकों के साथ एक अवसर को भांपते हुए कुमारस्वामी सरकार पर बहुमत साबित करने के लिए दबाव डाल रही है। भाजपा का कहना है कि सरकार ने विधानसभा में बहुमत खो दिया है, क्योंकि सत्तारूढ़ सहयोगियों के 16 बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और दो निर्दलियों ने भी समर्थन वापस ले लिया है।
भाजपा ने राज्यपाल से भी अपील की है कि वे अध्यक्ष को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दें। भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता मधुसूदन ने कहा, ‘अगर अध्यक्ष कांग्रेस के 13 और जद-एस के तीन सदस्यों के इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा की ताकत 225 से घटकर 209 रह जाएगी। इस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 105 रह जाएगा।’
मुख्यमंत्री ने एच. डी. कुमारस्वामी, जिनके पास वित्त विभाग भी है, उन्होंने आठ फरवरी को विधानसभा में राज्य का बजट वोट-ऑन-अकाउंट प्रस्तुत किया था। इस वित्त विधेयक को चार महीने के अंदर या 31 जुलाई से पहले तक पारित किया जाना जरूरी है।
मधुसूदन ने कहा, ‘अगर कुमारस्वामी बजट पारित करने के लिए वित्त विधेयक को आगे बढ़ाते हैं, तो हम विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार से पूछेंगे कि जब सदन में बहुमत ही नहीं है तो बजट किस तरह पारित किया जा सकता है।’
कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने कहा, ‘व्हिप सभी नेताओं (बागियों सहित) को सौंपा गया है। क्योंकि अभी अध्यक्ष ने बागियों का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।’
कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने सोमवार को ऐसे पार्टी नेताओं को अयोग्य ठहराने के लिए अध्यक्ष को याचिका दी थी, जो व्हिप की अवहेलना कर सत्र को छोड़ देते हैं।
बागियों ने हालांकि दावा किया कि अयोग्यता उन पर लागू नहीं होगी, क्योंकि वे अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और इस संबंध में 6 जुलाई को राज्यपाल के साथ ही अध्यक्ष को भी पत्र सौंप चुके हैं।