13 महीने पुरानी कर्नाटक की जनता दल (एस) – कांग्रेस गठबंधन सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे है। जानकारी के मुताबिक गठबंधन सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अपना पद छोड़ सकते हैं। कर्नाटक में कई विधायकों के इस्तीफे के कारण कांग्रेस-जद(एस) सरकार पर मंडराए संकट का मुद्दा कांग्रेस आज लोकसभा में उठाएगी।
वहीं कर्नाटक सरकार को बड़ा झटका देते हुए निर्दलीय विधायक नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा, मैं पहले से ही एचडी कुमारस्वामी की अध्यक्षता वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले चुका हूं। मैं इस पत्र के माध्यम से और अधिक स्पष्ट रूप से कहूंगा कि यदि आपके अच्छे स्वार्थ के लिए मैं ब्जक्प सरकार को अपना समर्थन दूंगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में ”बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त” का मुद्दा लोकसभा में उठाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे गठबंधन सरकार में नए मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में बीजेपी के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है। कांग्रेस का कहना है की बीजेपी कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है।
कर्नाटक कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सिद्दारमैया, मंत्री UT खदर, शिवशंकर रेड्डी, वेंकटरमन गप्पा, जयमाला, एम बी पाटिल, कृष्णा बेरे गौड़ा, राजशेखर पाटिल, राजशेखर पाटिल, डीके शिवकुमार नाश्ते के लिए जी परमेश्वर के आवास पर पहुंचे।
कर्नाटक के डिप्टी सीएम जी परमेश्वर ने कहा, मैंने वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम और नतीजों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस पार्टी से संबंधित सभी मंत्रियों की एक नाश्ते की बैठक बुलाई है। हम जानते हैं कि बीजेपी क्या करना चाह रही है। अगर जरूरत पड़ी तो हम सभी इस्तीफा दे सकते हैं और फिर विधायकों को समायोजित कर सकते हैं। राजनीतिक क्षेत्रों से मिली रिपोर्टों के अनुसार आज भी कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं जिससे राज्य सरकार का संकट और गहरा सकता है।
कांग्रेस नेताओं ने सरकार बचाने के लिए मसले सुलझाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं और इस कड़ी में कांग्रेस महासचिव एवं कर्नाटक के पार्टी प्रभारी के सी वेणुगोपाल ने कुछ नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं। विद्रोही विधायकों के साथ भी बैठक निर्धारित थी लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया क्योंकि उनमें से अधिकतर विधायक मुंबई चले गये हैं। कुमारस्वामी का अमेरिका से लौटकर रात में जद (एस) मुख्यालय में यहां विधायक दल की बैठक करना काफी महत्वपूर्ण होगा।
गौरतलब है कि शनिवार को जद (एस) के तीन और कांग्रेस के 10 विधायकों के विद्रोही रुख अख्तियार करते हुए अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंप दिये थे जिससे गठबंधन सरकार को संकट का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में यह राजनीतिक घटनाक्रम कर्नाटक विधानसभा का मानसून सत्र 12 जुलाई से शुरू होने से पहले हुआ है।
इस बीच, जद (एस) और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्रोही नेताओं को अपने इस्तीफे वापस लेने के लिए राजी करने पर लगे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) पर कर्नाटक सरकार को अस्थिर करने के लिए ‘ऑपरेशन लोटस’ संचालित करने के आरोप लगते रहे हैं जिसका प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बी एस येद्दियुरप्पा खंडन किया है।
येद्दियुरप्पा आज तुमकुरु के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार को लेकर विद्रोही रुख अख्तियार करने वाले विधायकों के मामले से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ अपनी समस्याओं के कारण इस सरकार का गिरना सन्निकट है और हम दूर से इस पर नजर रखे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा कि यदि जद (एस)-कांग्रेस सरकार अपने ‘अंतर्विरोध’ के कारण गिरती है तो भाजपा अगली सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
‘‘वर्तमान सरकार के सामने आये संकट से हमारा कोई सरोकार नहीं है। यदि यह सरकार अपने बोझ को बर्दाश्त न कर सकी और गिर गयी तो हम अगली सरकार के गठन के लिए दावा पेश करेंगे। हम राजनीतिक संन्यासी नहीं हैं। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि कर्नाटक की जनता मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती है, अब बीजेपी अपने कर्तव्य का निर्वहन करेगी।’’
जद(एस) के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा इस संकट के मद्देनजर पुत्र एवं मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के लौटने से पहले अपने आवास पर कई बैठकें कर चुके हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सरकार बचाने के लिए दोनों दल गठबंधन सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन का फार्मूला अपना सकते हैं। इस फार्मूले में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारामैया को मुख्यमंत्री बनाने और कुमारस्वामी के पुत्र एवं लोक निर्माण मंत्री एच डी रेवन्ना को उप मुख्यमंत्री बनाना शामिल है।
मल्लिकार्जुन खडगे को अगला मुख्यमंत्री बनाने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। इस बीच कांग्रेस नेता एवं मंत्री डी के शिवकुमार ने आज एच डी देवगौडा से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार एच डी देवगौडा सिद्दारामैया के काम करने के तरीके से नाखुश हैं और उन्होंने शिवकुमार को अपनी नाराजगी से अवगत भी कराया है।