मद्रास हाई कोर्ट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने न्यायमूर्ति विजया ताहिलरामनी के मेघालय हाईकोर्ट में तबादले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। वकीलों के ओर से कहा गया है कि तबादले शक्तिशाली कॉलेजियम के हाथों में एक हथियार बन गए हैं।
मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्यों को एक अभिवेदन भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह मनमाने ढंग से किए गए तबादले न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायाधीशों के विश्वास को कम करते हैं।
वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश खालिद की एक पंक्ति का भी उल्लेख किया, जिन्होंने आपातकाल के काले दिनों की याद दिलाते हुए एक बार कहा था कि तबादला कैसे बर्खास्तगी से भी अधिक खतरनाक हथियार हो सकता है।
वकीलों ने कहा, ‘कॉलेजियम के कामकाज की शैली यह बताती है कि हाईकोर्ट कॉलेजियम के अधीनस्थ है। यह हाईकोर्ट के महत्व को प्रभावित करता है और संवैधानिक तौर पर हाईकोर्ट को दी गई प्रमुखता की स्थिति को भी नष्ट करता है।’
वकीलों ने पत्र में एसपी गुप्ता बनाम भारत संघ में देश के सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ के अवलोकन का उल्लेख भी किया। इसमें कहा गया है कि तबादले की शक्ति एक अत्यधिक खतरनाक शक्ति है, जिसमें न्यायाधीश को बड़ी कठिनाई होती है और उसे चोट पहुंचती है। वकीलों ने चयनात्मक आधार पर किए गए तबादलों को न्यायाधीश की प्रतिष्ठा पर एक कलंक बताया।
पत्र में कहा गया, ‘ये शब्द मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विजया ताहिलरामनी के तबादले में सच दिखाई देते हैं, जो कि बेवजह एक चार्टर्ड हाईकोर्ट से मेघालय के हाई कोर्ट में स्थानांतरित की गई हैं। जबकि वह पूरे भारत के तीन वरिष्ठ न्यायधीशों में शामिल हैं।’
न्यायमूर्ति विजया ताहिलरामनी चार अगस्त 2018 को मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले दो बार बॉम्बे हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। सितंबर 2020 में सेवानिवृत्ति से पहले उनकी सिर्फ एक साल की सेवा बाकी बची हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश वी.के. ताहिलरामनी को मेघालय हाईकोर्ट जबकि मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए.के. मित्तल को मद्रास में स्थानांतरित करने का फैसला लिया है।
वकीलों का कहना है कहा कि विजया ताहिलरमानी को सबसे छोटे हाईकोर्टो में से एक में स्थानांतरित करना सजा और अपमान से कम नहीं है।
इस बीच, विजया ने तबादले के विरोध में छुट्टी पर जाने का फैसला किया है। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इसकी एक प्रति भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को भी भेजी है।
विजया ताहिलरमानी के तबादले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट बार काउंसिल के वकीलों ने सोमवार को भी धरना दिया था।