अभी हाल ही हुए उपचुनावों के नतीजे ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। 10 राज्यों में लोकसभा की चार और विधानसभा की 10 सीटों पर हुए उपचुनावों में एकजुट विपक्ष ने 14 में से 11 सीटें जीत भाजपा को झटका दिया। भाजपा ने लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट गंवा दी। देखा जाए तो 4 साल में हुए लोकसभा के 27 उपचुनावों में भाजपा सिर्फ 5 ही जीत पाई। यही नहीं, बीजेपी का वोट शेयर भी कम हुआ है।
सीटों वार आंकड़ों को देखेंगे तो कैराना में 2014 में बीजेपी सांसद हुकुम सिंह को जहां 50.6 फीसदी वोट मिले थे, वहीं उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुए और बीजेपी की मृगांका सिंह को आरएलडी के तबस्सुम ने हरा दिया। बीजेपी के मुकाबले विपक्ष एकजुट हो गया और बीजेपी को महज 46.5 फीसदी वोट मिले। यानी बीजेपी का यहां 4 प्रतिशत वोट शेयर गिरा।
सबसे बड़ा झटका तो बीजेपी को महाराष्ट्र की पालघर और भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर लगा है। पालघर में तो इस बार बीजेपी को 9 फीसदी और गोंदिया-भंडारा में 23 फीसदी वोट कम मिले। हालांकि, गोंदिया-भंडारा में कांग्रेस-एनसीपी अलायंस की वोट शेयरिंग आठ फीसदी बढ़ गई है।
उधर, यूपी के नूरपुर विधानसभा सीट हारने के बावजूद बीजेपी के लिए यहां से कुछ राहत भरी खबर आई। यहां नूरपुर में पिछले चुनाव में बीजेपी को 39 फीसदी वोट मिले थे लेकिन इस बार 47.2 फीसदी मिले।
लेफ्ट का गढ़ केरल जीतने का सपना देख रही बीजेपी के लिए यहां से बुरी खबर है। यहां 2014 के मुकाबले बीजेपी का वोट प्रतिशत 7 फीसदी गिर गया। बीजेपी ने यहां जाति कार्ड भी खेला और नायर समुदाय के श्रीधरन पिल्लई को मैदान में उतारा, लेकिन ना तो वोट शेयर बढ़ा और ना ही जीत मिली।
उधर, पश्चिम बंगाल की महेशताला विधानसभा सीट पर हार के बाद बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है। यहां वह सीपीएम और कांग्रेस को पछाड़कर दूसरे स्थान पर रही. महेशताला में तृणमूल कांग्रेस के दुलाल दास ने जीत दर्ज की।
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