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महात्मा गांधी सदैव हमारे नैतिक पथप्रदर्शक रहेंगे : कोविंद 

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नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि महात्मा गांधी को राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं तथा वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक थे और सदैव रहेंगे । देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि इस बार स्वाधीनता दिवस इस मायने में खास है कि 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया था बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व में हर जगह, जहां-जहां भी वे गये, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है । कोविंद ने कहा, ‘‘ हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं।’’ उन्होंने कहा कि चंपारन में और अन्य बहुत से स्थानों पर गांधी जी ने स्वयं स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने साफ-सफाई को, आत्म-अनुशासन और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना ।

राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है । इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें। हमारी स्वाधीनता का उत्सव मनाने का इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता । कोविंद ने कहा कि देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको करने हैं ।

राष्ट्रपति ने इस संदर्भ में किसानों के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्‍ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं । देश की सुरक्षा में सैनिकों के महत्व को रेखांकित करते हुए कोविंद ने कहा कि हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्‍चित करते हैं ।

उन्होंने कहा कि जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं । कोविंद ने कहा कि हमारी पुलिस और अर्धसैनिक बल अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हैं। वे आतंकवाद का मुक़ाबला करते हैं तथा अपराधों की रोकथाम और कानून-व्यवस्था की रक्षा करते हैं । उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में संघर्ष करने वाले सभी वीर और वीरांगनाएं, असाधारण रूप से साहसी और दूर-द्रष्टा थे। इस संग्राम में देश के सभी क्षेत्रों, वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे । वे चाहते तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे। लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुत्ता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो। हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं ।

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