पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार अपराह्न तीन बजे 14 मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों के 28 प्रतिनिधियों के साथ सचिवालय ‘नबन्ना’ में बैठक करेंगी।
सुश्री बनर्जी ने आज दिन में ही हड़ताली डॉक्टरों की बाचतीत की पेशकश स्वीकार की थी। बैठक के दौरान मुख्य सचिव,अतिरिक्त प्रधान सचिव और चिकित्सा शिक्षा के निदेशक भी उपस्थित रहेंगे।
अपने एक साथी चिकित्सक के साथ हुई मारपीट के बाद पिछले छह दिनों से हड़ताल कर रहे जूनियर डाक्टरों ने इससे पहले कहा था कि जहां मुख्यमंत्री तय करेंगी वे उनसे उसी स्थान पर बातचीत करने को तैयार हैं।
डॉक्टरों की ओर से हालांकि मुख्यमंत्री के साथ सचिवालय में बैठक में शामिल होने की पुष्टि नहीं की गयी है। इससे पहले दिन में उन्होंने राजभवन या राज्य सचिवालय में बातचीत करने से इनकार कर दिया था।
आज सुबह पांच घंटे तक चली जनरल बाडी मीटिंग के बाद जूनियर चिकित्सकों ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री से कैमरा सुपरविजन में होने वाली बैठक के पक्ष में हैं और कोई भी बातचीत बंद कमरे में नहीं की जाएगी। उनक कहना था ‘‘ हम सुश्री बनर्जी से कहीं भी मिलने को तैयार हैं लेकिन नबन्ना या राजभवन में नहीं और यह मुलाकात कैमरे के सामने होगी। ’’
इससे पहले हड़ताली डॉक्टरों ने शनिवार को नबन्ना में बातचीत के मुख्यमंत्री की ताजी पेशकश को ठुकरा दिया था और उनका कहना था कि सुश्री बनर्जी को एनआरएस में आकर ही बातचीत करनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल में एनआरएस अस्पताल में एक डाक्टर की पिटाई के बाद विरोध स्वरूप हड़ताल पर गए जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के छठे दिन मरीजों का हाल बेहाल है।
इन चिकित्सकों की अमानवीयता का एक पहलू यह भी देखने में सामने आया है कि मिदनापुर में हड़ताल की वजह से उपयुक्त उपचार नहीं मिल पाने के कारण एक नवजात शिशु की मौत हो गयी है। उसके माता-पिता ने बच्चे का शव लेकर इन डॉक्टरों के सामने प्रदर्शन किया लेकिन शायद इसका भी कोई असर उन पर नहीं पड़ा।
सबसे दुखद बात यह है कि राजधानी दिल्ली के एम्स और सफदरजंग तथा अन्य अस्पतालों के चिकित्सक इन हड़ताली चिकित्सकों के प्रति एकजुटता दिखा रहे हैं। सुश्री बनर्जी ने बार-बार जूनियर डाक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह करते हुए कहा था कि उनकी अधिकतर मांगे मान ली गयी हैं।
सुश्री बनर्जी ने शनिवार को कहा था कि उनकी सरकार हड़ताली डॉक्टरों पर एस्मा नहीं लगाएगी और उनकी अधिकतम मांगें मान ली गयी हैं, इसलिए उन्हें काम पर लौट आना चाहिए।
सुश्री बनर्जी ने यहां नबन्ना में मुख्य सचिव मलय डे की उपस्थिति में पत्रकारों से कहा,‘‘मैं राज्य में हड़ताली चिकित्सकों पर एस्मा नहीं लगाना चाहती हूं और जूनियर डाक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह करती हूं क्योंकि उनकी अधिकतर मांगें मान ली गई हैं।’’