बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग निराशा फैलाने का काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी पर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था का चीरहरण होगा तो मैं खामोश नहीं बैठूंगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक तिमाही में विकास दर नहीं गिरी। इस दौरान यशवंत सिन्हा ने ये भी कहा कि मैं शल्य नहीं हूं।
वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम आशावादी है कि निराशावादी। हमने या कुछ और लोगों ने जिन मुद्दों को उठाया जरूरी है कि सरकार उन पर गंभीरता से विचार करे। देश और अर्थव्यवस्था के सामने जो संकट है उसे दूर किया जाए।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि महाभारत में हर प्रकार के चरित्र हैं, शल्य भी उनमें से एक हैं. शल्य कौरवों की ओर कैसे शामिल हुए इसकी कहानी सबको पता है. दुर्योधन ने उन्हें ठग लिया था. शल्य नकुल और सहदेव के मामा थे. वो पांडवों के साथ लड़ना चाहते थे लेकिन ठगी का शिकार हो गए. महाभारत में ही एक अन्य चरित्र हैं भीष्म पितामाह. भीषण पितामाह पर आरोप है कि जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब वो खामोश रह गए. अब अगर अर्थव्यवस्था का चीर हरण होगा तो मैं बोलूंगा.”।
पीएम के ईपीएफ में अधिक लोगों के शामिल होने पर उन्होंने कहा, ‘पीएम ने एक फिगर कोट किया कि EPF में इतने नए लोग शामिल हो गए हैं। जब विस्तार में जाते हैं तो पता चलेगा कि जो लोग EPF में शामिल नहीं थे और 2009 से रोजगार में शामिल थे उन्हें EPF में शामिल किया गया। यह रोजगार सृजन नहीं हुआ है।’
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि अर्थव्यवस्था पर चर्चा शुरू हुई। अगर प्रधानमंत्री ने स्वयं देश की जनता के सामने कुछ बातें रखी हैं तो यह स्वागत योग्य है। पीएम ने जो आंकड़े दिए उस पर मुझे यही कहना है कि आंकड़ों का खेल खतरनाक होता है। 6 तिमाही से विकास दर नीचे आ रहा है। 2019 में चुनाव में जाएंगे तो लोग ये नहीं पूछेंगे कि UPA की तुलना में कैसा काम किया? लोग पूछेगे कि जो वादे किए थे वो पूरे हुए या नहीं।
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को क्या सलाह देंगे इस सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा, ”मैं कोई सलाह नहीं दूंगा, मैं खुद को सलाह देने के काबिल नहीं समझता हूं. सरकार में बेहद काबिल लोग हैं. मीडिया के जरिए सलाह देने का कोई उत्साह नहीं है. लेकिन अगर कुछ करना चाहते हैं तो जो मैंने किया उसका अध्ययन करें. मैंने करके दिखाया है.”
उन्होंने कहा, ”हम अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में खासतौर पर अपने वादों पर खरे नहीं उतर रहे हैं. भारत ऐसा देश है जिसमें अगर हम 8% की दर से लगातार आगे बढे तब भी हमें गरीबी से छुटकारा पाने के लिए 21 साल लगेंगे। ‘