देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) के फैलाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार के तरफ से 17 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने का भी तेज हो चुका है। हर दिन अनेक राज्यों से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं। वहीं भारतीय रेलवे ने गुरुवार को कहा कि एक मई से अब तक 163 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गयी हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 1.60 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह नगर पहुंचाया है।
रेलवे ने कहा कि उसने बुधवार को 56 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई और बृहस्पतिवार को अभी तक 14 ट्रेनें चलाई गई हैं। रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि “हम दिन के अंत तक कुछ और ट्रेनें चलाने की योजना बना रहे हैं।” बुधवार रात तक रेलवे ऐसी 149 ट्रेनें चला चुका था। प्रत्येक विशेष ट्रेन में 24 डिब्बे हैं जिनमें से हर एक डिब्बे में 72 सीटें हैं। रेलवे प्रवक्ता ने कहा कि सामाजिक नियमों का पालन करने के वास्ते एक डिब्बे में केवल 54 लोगों को ही यात्रा करने की अनुमति दी जा रही है और मिडल बर्थ किसी भी यात्री को नहीं दी जा रही है।
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हालांकि इन सेवाओं में होने वाले खर्च की जानकारी रेलवे की ओर से नहीं दी जा रही है, अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि प्रति सेवा रेलवे को 80 लाख रुपये का खर्च वहन करना पड़ा है। सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में खर्च वहन किया गया है। सेवा की शुरुआत से ही मुख्य रूप से गुजरात और केरल से श्रमिकों को बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंचाया गया।