देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने बड़ी तादाद में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के लिए दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन मरकज पर दोषारोपण किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि मामले की जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाना चाहिए।
देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर कहा कि ‘‘मरकज जैसे धार्मिक केन्द्रों में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। अब यह जांच का विषय है कि गलती किसकी है मगर उससे पहले ही मरकज को कुसूरवार ठहराना सही नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘ ऐसा कहा जा रहा है कि मरकज कोरोना का केन्द्र है। अगर निजामुद्दीन मरकज से ही कोरोना फैला है तो हिन्दुस्तान में अब तक जो 34 लोग इस संक्रमण से मरे हैं, क्या वे मरकज में रहकर आये थे?’’ उन्होंने कहा,‘‘ जब निजामुद्दीन मरकज ने प्रशासन को स्थिति के बारे में बता दिया था और बार-बार उसे याद भी दिलाया तो उसके मोहतमिम पर मुकदमा चलाने की बात कहां तक दुरुस्त है?’’
इस बीच देश में शिया मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का भी कहना है कि बिना जांच किये किसी को भी कुसूरवार ठहराना सही नहीं है। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि ‘‘ मरकज का प्रबन्धन लॉकडाउन के बाद वहां पैदा हुई सूरतेहाल के बारे में प्रशासन को जानकारी देने की बात कह रहा है। वहीं प्रशासन इससे इनकार कर रहा है। यह जांच का विषय है। बिना जांच किये किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए ।’’
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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मरकज को यह मामला इतने हल्के में नहीं लेना चाहिए था। अगर उन्होंने प्रशासन को इस बारे में बताया था तो उसे इसका सुबूत भी दिखाना चाहिये। गौरतलब है कि इंडोनेशिया और मलेशिया समेत अनेक देशों के 2000 से अधिक प्रतिनिधियों ने एक से 15 मार्च तक हजरत निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में भाग लिया था।
कार्यक्रम में शामिल हुए करीब 30 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और पिछले कुछ दिनों में तीन की मौत भी हुई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को जमात की अगुवाई करने वाले मौलाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।