नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से शुरू होने वाली श्रीलंका की उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच ”मजबूत संबंधों” का एक प्रतीक है और यह बौद्ध धर्म की साझा विरासत को सामने लाती है। इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के सबसे बड़े उत्सव अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में भाग लेंगे, भारतीय सहयोग से बने एक अस्पताल का उद्घाटन करेंगे और भारतीय मूल के तमिल समुदाय को संबोधित करेंगे। इसके अलावा वह कई अन्य कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे।
उन्होंने श्रीलंका की यात्रा से कुछ ही घंटों पहले फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, ”यह दो वर्षों में वहां की मेरी दूसरी द्विपक्षीय यात्रा होगी जो हमारे मजबूत संबंध का संकेत है।” मोदी ने लिखा, ”मेरी यात्रा के दौरान मैं कोलंबो में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में शिरकत करूंगा जहां मैं बौद्ध धार्मिक नेताओं, विद्वानों और धर्मशास्त्रियों से वार्ता करूंगा।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के साथ इन समारोहों में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात है।
मोदी ने कहा, ”मेरी यात्रा भारत एवं श्रीलंका के बीच सबसे स्थायी संबंधों में से एक – बौद्ध धर्म की साझी विरासत- को उजागर करती है।”प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 में उनकी पिछली यात्रा में उन्हें सदियों से बौद्ध धर्म के अहम केंद्र और यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल अनुराधापुर जाने का अवसर मिला था।
उन्होंने कहा, ”इस बार, मुझे कैंडी में श्री दलादा मलिगवा पवित्र स्थान पर प्रार्थना करने का अवसर मिलेगा।” मोदी ने कहा कि उनकी यात्रा की शुरूआत कोलंबो में गंगारामय्या मंदिर स्थित सीमा मलाका से आरंभ होगी जहां वह परंपरागत दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि वह सिरीसेना, विक्रमसिंघे और अन्य अहम नेताओं के साथ बैठक करेंगे। मोदी ने कहा, ”मैं श्रीलंका में डिकोया अस्पताल का भी उद्घाटन करूंगा, जिसे भारत की मदद से बनाया गया है और वह भारतीय मूल के तमिल समुदाय के साथ वार्ता करेंगे।”
(भाषा)