केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भारत और अमेरिका में ‘सहिष्णुता के डीएनए के गायब होने’ संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि ‘सामंती फोटोफ्रेम में फिक्स’ परिवार को भारत की संस्कृति, संस्कार के संकल्प से सराबोर सहिष्णुता समझ में नहीं आएगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स के साथ डिजिटल संवाद के दौरान दावा किया था कि अमेरिका और भारत सहिष्णुता एवं खुलेपन के डीएनए के लिए जाने जाते थे जो अब गायब हो गया है तथा विभाजन पैदा करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कह रहे हैं।
नकवी ने इस पर कहा, ‘‘भारत के सहिष्णुता के डीएनए के बदलने का ज्ञान देने वाले कांग्रेसी अज्ञानियों को समझना होगा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:”, सनातन संस्कृति-संस्कार ही भारत का डीएनए था, है और रहेगा। देश अपनी संस्कृति, संस्कार, सहिष्णुता के किसी “पोलिटिकल पाखंड की प्रयोगशाला” में डीएनए टेस्ट का मोहताज नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि भारत की इसी संस्कृति-संस्कार-संकल्प ने इतने बड़े देश को ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र से बांध रखा है।
वरिष्ठ भाजपा नेता नकवी के मुताबिक पिछले एक दशक से ज्यादा समय से ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प से काम करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ‘बोगस बैशिंग ब्रिगेड’ की असहिष्णुता के सबसे बड़े शिकार रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘साजिशी सिंडिकेट’ देश को बदनाम करने में पागलपन की हद तक पहुंच गया है।
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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के नेता देश की छवि खराब करने की साजिश में लगे हैं। कभी आतंकवादियों के मारे जाने पर सवाल, कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर बवाल, कोरोना से लड़ाई पर असमंजस फैलाना और अब देश को असहिष्णु साबित करने का प्रपंच, कांग्रेस एवं उसके नेताओं द्वारा देश की संस्कृति, संस्कार, सुरक्षा एवं संकल्प के प्रति अज्ञानता की पराकाष्ठा है।’’ केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सामंती फोटोफ्रेम में फिक्स परिवार को भारत की संस्कृति, संस्कार के संकल्प से सराबोर सहिष्णुता समझ में नहीं आएगी।’’